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________________ णमो लोए सव्वसाहूणं “आज की विडम्बनाएँ देखकर मेरा यह मत बन गया था कि इस काल में सच्चा दिगम्बर जैन साधु होना संभव नहीं है, किन्तु जब से आचार्य विद्यासागरजी के दर्शन किये हैं, मेरे उक्त मत में परिवर्तन हुआ है और मन कहता है कि उपादान यदि सशक्त हो तो बाह्य निमित्त कुछ नहीं कर सकते। - पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री अखण्ड जैन परम्परा का मूलमंत्र पञ्चनमस्कारमंत्र या नवकारमंत्र है। इसे अनादि मूलमंत्र के रूप में माना जाता है। इधर षट्खण्डागम का यह आद्य मंगल है, तो उधर भगवतीसूत्र की भी यही स्थिति है। प्रसिद्ध खारवेल के शिलालेख का प्रारम्भ भी इसी मंत्र के आद्यमंत्र से होता है। दिगम्बर परम्परा में यह णमोकार या पञ्च नमस्कार मंत्र के नाम से प्रसिद्ध है, तो श्वेताम्बर परम्परा में नवकार के नाम से । पञ्च नमस्कार मंत्र में तो पाँच ही पद हैं; किन्तु उसका माहात्म्य बतलाने वाला जो प्राकृत पद्य है उसके चार चरण जोड़ने से नवकार होता है। श्वेताम्बर परम्परा में 'नवकार' का ही प्रचलन है। उसके लघ नवकार फल में कहा है जिणसासणस्स सारो चउदसपुव्वाण जो समुद्धारो। जस्स मणे नवकारो संसारो तस्स किं कुणइ ॥ जे केई गया मोक्खं गच्छंति य के वि फम्मफलमक्का । ते सव्वे वि य जाणसु जिण णवकारप्पभावेण ॥ (जो जिन शासन का सार है और चौदह पूर्वो का उद्धार रूप है ऐसा नवकार मंत्र जिसके मन में है, संसार उसका क्या कर सकता है ? जो कोई भी कर्मफल से मुक्त होकर मोक्ष गये, जाते हैं और जाएंगे, वे सब नमस्कार मंत्र के प्रभाव से ही जानो।) इस पञ्च नमस्कार या नवकार मंत्र में नमस्करणीय हैं पंचपरमेष्ठी-अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु । साधुपद से ही परमपद की तैयारी का आरम्भ होता है। इससे यह पद आरम्भिक पद है और इसी से उसको सबसे अन्त में रखा है; क्योंकि नमस्करणीयों में यह सबसे लघु होता है । आज के भाषाविज्ञानी भाषा-शास्त्र की दृष्टि से हमारे इस मंत्र को अनादि मानने के लिए तैयार नहीं हैं; क्योंकि सबसे प्रथम साधु शब्द ही प्राचीन नहीं माना जाता। तीर्थंकर : नव-दिस. ७८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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