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ज्ञान का प्रकाश मिला
निकला
सूरज प्रकाश हो गया कुए पर गये तो
घड़ा भर लाये |
वृक्ष के पास जाकर
फल ले आये ।
चाँद ने रात में
शीतलता भर दी,
पर
एक ही दिवाकरजी के
पास गये तो
ज्ञान का प्रकाश मिला, उपदेशों के अमृत से घड़ा भर लिया ।
चौ. ज. श. अंक
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अच्छी
अच्छा
और, और
करनी का
फल मिला ।
प्रवचन, लावणी भजन और चरित्रों
के माध्यम से
जीवन के उत्थान
और कल्याण के लिए
साहित्य की धवल चाँदनी
सर्वत्र
बिखराकर
मानव को मानव
बनने की राह बताई
जैन दिवाकर जी ने ।
महामनस्वी
छप्पय
मृदु वाणी मतिमंत महा ज्ञानी मनमोहक,
मद मत्सरता मार ममत्त मिथ्या मोहकमोडक ।। मांगलीक मुख शब्द महाव्रती महामनस्वी, मर्यादा अनुसार प्रचारक परम यशस्वी ॥ मुनि गुणी मुक्ता मणी, जन जीन के थे हीये हारवर, गंगा सुत केसर तनय चौथ मुनि चारू चतुर ।।
कुंडलिया
भरी जवानी में करी, हरी विषय की झाल । मरितिय फिर ना वरी, घरी शील की ढाल । धरी शील की ढाल, काम कइ कीना नामी नहीं रति-भर चाह, पद्दिये केइ पामी । अध्यात्मिकता पायके करी साधना हर घड़ी, उत्तम लोक में चौथ ने सुन्दर यश झोरी मरी ॥
- मोतीलाल सुराना
श्रमणसूर्य श्री मिश्रीलाल महाराज
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