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________________ भ्रमभंग : देवेश ठाकुर, (समीक्षा), जून, पृ. ३६ बहरे बादशाह का हुक्म ( बोध कथा ) : हर्षवर्द्धन गोयलीय, जुलाई, आवरण-पृ. ३ बात श्रम की : माणकचन्द कटारिया, मार्च, पृ. १७ बड़ा पापी कौन ? ( बोध कथा ) : विक्रमकुमार जैन, जुलाई, पृ. २० ( बोध कथा ) : बड़ी भी, छोटी भी यशपाल जैन, जुलाई, पृ. ६ बोधकथाएँ : क्या कहती हैं, उद्धरण : नये रिश्ते, नये मोड़ : संपादकीय, जुलाई, पृ. ७ बोध का अंकुर, मन की सीपी में रूपातरित हो मोती ( कविताएँ ) : दिनकर सोनवलकर, दिसम्बर, पृ. २९ मन, एक कुआ (बोधकथा ) : विक्रमकुमार जैन, जुलाई, पृ. २१ मनुष्य की प्रतिष्ठा, मनुष्य के नाते : माणकचन्द कटारिया, अप्रैल, पृ. ७ महावीराज मिशन एण्ड मेसेज (अंग्रेजी) : डी. एस. परमाज, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६८ महावीर की अहिंसा : जीवन का एकमात्र पर्याय : आचार्य रजनीश, अप्रैल, पृ. १२ महावीर वाणी : डा. भगवानदास तिवारी, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६७ महावीर-वाणी : श्रीचन्द रामपुरिया, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६८ महावीर : व्यक्ति नहीं, सत्य : आचार्य तुलसी, जनवरी-फरवरी, पृ. ५६ महावीर : समाधान खोजती घटनाएँ : जमनालाल जैन, जून, पृ. १३ महावीर - साहित्य : १९७४-७६ (अनुक्रमणी) : दिसम्बर, पृ. ६१ महावीर स्वामी की पड़, पुतलियों में 'वैशाली' का अभिषेक' : डा. महेन्द्र भानावत, दिसम्बर, पृ. ९० १९२ महिलाएँ पीछे कैसे रहतीं (वीर-निर्वाणपरिचर्चा ) : राजकुमारी बेगानी, दिसम्बर, पृ. ४४ Jain Education International माटी का स्पर्श, भटका मन, आँख, व्याकुलता ( कविताएं) : रामनारायण उपाध्याय, मई, पृ. ११ मार्क्सवाद : जैन दृष्टि में प्रद्युम्न कुमार जैन, जून, पृ. २७ मार्क्सवाद : जैन दृष्टि में, पुनर्विचार आवश्यक ( प्रतिक्रिया ) : डा. देवेन्द्रकुमार जैन, जुलाई, पृ. २९ मुक्ति की आकांक्षा : अगस्त, पृ. ९ मुनि जिनविजयजी : आजीवन अनुसंधानरत कर्मयोगी : भंवरमल सिंघी, सितम्बर, पृ. १३ मुस्कान बाँटिये : चन्दनमल 'चाँद', (समीक्षा), मार्च, पृ. ३८ मेघ मल्हार (उपन्यास) : डा. सुमति देशमाडे, (समीक्षा), जनवरी-फरवरी, पृ. ५३ मेरी सम्मेद शिखर यात्रा (संस्मरण) : राजकुमारी बेगानी, मार्च, पृ. २७ मेरे पास कपड़े हैं कहाँ ! ( बोधकथा ) : यशपाल जैन, जुलाई, पृ. १२ मैनावती ( पुराण - कथा ) : गणेश ललवानी, अप्रैल, पृ. १३ मैं जवाब की खोज में हूँ (वीर - कथा - प्रसंग ) : इन्दीवर जैन, अप्रैल, पृ. २० 'मैं तुम्हारे मिलन का एकान्त हूँ' (मेरी साधना - डायरी के कुछ पृष्ठ ) : वीरेन्द्रकुमार जैन, जून, पृ. २१ मैं दासानुदास महावीर का : विनोबा, जून पृ. २५ मोह का एक निर्मोही साधक राजचन्द्र : कन्हैयालाल सरावगी, मई, ३४ मृत्यु : एक अनुशीलन : कन्हैयालाल सरावगी, जनवरी-फरवरी, पृ. ३९ तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520603
Book TitleTirthankar 1977 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1977
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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