SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ न्यायप्रियता ( बोधकथा ) : नेमीचन्द पटोरिया, जुलाई, आवरण-पृ. २ न्यू डाक्यूमेंट्स ऑफ जैना पेंटिंग (अंग्रेजी): संपा. - डा. मोतीचन्द, डा. उमाकान्त पी. शाह, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८७ पतझर में भी हरे-भरे ( कविताएँ ) : दिनकर सोनवलकर : अगस्त, पृ. ११ पर्युषण पर्व-प्रवचन : मधुकर मुनि, (समीक्षा), अक्टूबर-नवम्बर, पृ. २७ पिच्छि- कमण्डलु (पुस्तक-परिचर्चा ) : उपाध्याय मुनि विद्यानन्द, जुलाई, पृ. ३२ पुस्तकें मुस्करा भर देती हैं : डा. जाकिर हुसैन, मई, आवरण-पृ. ३ प्रतिक्रिया : 'निर्माण : नये सिरे से' ( संपादक के नाम पत्र) : बाबूलाल पाटोदी, जनवरी-फरवरी, पृ. ५१ प्रतिदिन का एक विचार : श्रीचन्द रामपुरिया, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६७ प्रतिबद्धता ( कविता ) : सुरेश 'सरल', मार्च, पृ. १६ प्रपंच, एक लंगोटीका ( बोध कथा ) : भागीरथ कानोड़िया, जुलाई, पृ. १८ प्राकृत : एक समृद्ध भाषा : उपाध्याय मुनि विद्यानन्द, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ९ प्रायोपवेशन : एक तुलनात्मक समीक्षा : डा. हरीन्द्रभूषण जैन, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. १७ प्रेमोपनिषद् : मदर टेरेसा, सितम्बर, पृ. ७ प्रोग्रेसिव्ह जैन्स ऑफ इंडिया (अंग्रेजी ) : सतीशकुमार जैन, (समीक्षा), मार्च, पृ. ३७ भक्ति और पूजा अगस्त, पृ. २९ भगवती सूत्र (भाग १, २) : मूल : सुधर्मा स्वामी, अंग्रेजी अनुवाद : के. सी. ललवानी, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८१ भगवान् महावीर : अत्यन्त मूल्यवान : इन्दिरा गांधी, दिसम्बर, आवरण-पृ. ३; अपूर्व और महान् देन : काका कालेलकर, दिस., आ. - पृ. २ चौ. ज. श. अंक Jain Education International भगवान् महावीर, उपदेश और जीवन : श्रीमती राजकुमारी बेगानी, (समीक्षा), मार्च, पृ. ३८ भगवान् महावीर : उपयोगी और व्यावहारिक : ब. दा. जत्ती, दिसम्बर, आवरण- पृ. २; उसकी जरूरत होती है : स्वामी सत्यभक्त, अप्रैल, आवरण-पृ. २, एक जगह त्यागोगे तो : निर्मलकुमार, अप्रैल, आवरण-पृ. २; एक देन, जो हमने ली ही नहीं : माणकचन्द कटारिया, अप्रैल, आवरण- पृ. ३; एक बहुत बड़ी विरासत : फखरुद्दीन अली अहमद, दिसम्बर, आवरणपृ. २ भगवान् महावीर और उनका चिन्तन : डा. भांगचन्द्र 'भास्कर', (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६९ भगवान् महावीर ने क्या कहा ? : मुनि जयन्तविजय 'मधुकर, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६८ भगवान् महावीर : लोकतंत्र उनकी रग-रग में : डा. प्रद्युम्नकुमार जैन, अप्रैल, आवरण- पृ. ३, विवेक की आँख खुली रखो : जमनालाल जैन, अप्रैल, आवरणपृ. ३, संपूर्ण मान्य : आचार्य विनोबा, दिसम्बर, आवरण- पृ. ३; संपूर्ण यात्रा : व्यक्तित्व से अस्तित्व की ओर मुनि नथमल, अप्रैल, आवरण-पृ. २ भद्रा (पुराण - कथा ): गणेश ललवानी, मार्च, पृ. २१ भारतीय जैन तीर्थ-दर्पण ( संग्रह. ए. सी. जैन ), (समीक्षा), मई, पृ. ५२ भीड़, चितना के क्षण, अहिल्या, तथागत ( कविताएँ ) : कन्हैयालाल सेठिया, जुलाई, ११ पृ. भूमा ( कविता संकलन) : मुनि रूपचन्द्र, (समीक्षा), अक्टूबर-नवम्बर, पृ. २८ भूमि लुप्ता नदी, एक क्वांरी याद ( कविता ) : रत्नेश 'कुसुमाकर', मार्च, पृ. १० For Personal & Private Use Only १९१ www.jainelibrary.org
SR No.520603
Book TitleTirthankar 1977 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1977
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy