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याचना (बोधकथा) : भागीरथ कातौ- वीर स्तव :. गणेश ललवानी दिसम्बर, ड़िया, जुलाई, पृ. १३ . . . . . .. पृ. ३० . . . . . . . . . . _ रथनेमि (पुराण-कथा) : गणेश लल- व्यर्थ है : ज्ञान से खाली तप, तप से वानी, दिसम्बर, पृ. १२
खाली ज्ञान, सितम्बर, आवरण-पृ. ४ • रमा और रश्मि (बोधकथा).: कन्हैया- श्रमण महावीर (अंग्रेजी) : कस्तूरचन्द लाल मिश्र 'प्रभाकर', अगस्त, आवरण-पृ.२ ललवानी (के. सी. ललवानी), (समीक्षा), ___ रस-संख्यान और जैनाचार्य : डा. अप्रैल, पृ. ६९ सुन्दरलाल कथूरिया, मई, पृ. ४० . . श्रमण महावीर चरित्र (महाकाव्य) :
रेवती (पुराण-कथा) : गणेश ललवानी, अभयकुमार यौधेय, (समीक्षा), दिसम्बर, जनवरी-फरवरी, पृ. २१
पृ. ८८ लक्ष्य-वेध : लक्ष्य-वध (वीर-कथा
__ श्रमण महावीर (अंग्रेजी) : मुनि नथप्रसंग) : इन्दीवर जैन, अप्रैल, पृ. १९ ।
मल, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ६८ .
श्रमण संस्कृति की कविता : गणेश लचीलेपन की उम्र अधिक (बोध
ललवानी, दिसम्बर, पृ. ८५ . कथा) : यशपाल जैन, जुलाई, पृ. १२ ।
श्रावकाचार : क, ख, ग (निर्माण : . लहरों के बीच : सुनील गंगोपाध्याय :
नये सिरे से-३) : संपादकीय, मार्च, पृ. ५० (समीक्षा), अक्टूबर-नवम्बर, पृ. २७ ।।
श्रावकाचार-संग्रह (भाग १) : संपा.लेकिन पोथी पढ़नेवाले (बोधकथा) : अन.- पं. हीरालाल सिद्धान्तालंकार : विक्रमकुमार जैन, जुलाई, पृ. २१
(समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८०, भाग २ .. वस्तु एक है (बोधकथा) : यशपाल (समीक्षा), मार्च, पृ. ३७ .. जैन, जुलाई, पृ. ६
सदाकत और इन्साफ (बोधकथा).:; वह वन्दनीय है, वह पूज्य है : अप्रैल, हर्षवर्द्धन गोयलीय, जुलाई, पृ. १७ आवरण-पृ. ४
___समय आ गया कि (बोधकथा) : वर्द्धमान महावीर : निर्मलकुमार,
आचार्य रजनीश, मार्च, आवरण-पृ. ३ (समीक्षा), मई, पृ. ५१
समाधि साधना की : भानीराम ‘अग्निवाग्मिता : कुछ विचार-सूत्र : डा. मख'. अक्टबर-नवम्बर, प. २२. शीतला मिश्र, जनवरी-फरवरी, पृ. ३५ ॥
समुद्र-संगम : डा. भोलाशंकर व्यास, , विज्ञान आर अध्यात्म : मुनि अमरेन्द्र- (समीक्षा), जन. प. ३५ विजय : (समीक्षा), मई, पृ. ५२
सम्यक्त्व-मृदंग की आठ थाप : अक्टूबरविदेशों के जैनों के निमित्त संपर्कसेवा .
नवम्बर, आवरण-पृ. ४ (वीर-निर्वाण-परिचर्चा) : केशरीमल जैन,
___ सर्वमान्यता की खोज' . (बोधकथा) : दिसम्बर, पृ. ४९
नेमीचन्द पटोरिया, जून, आवरण-पृ. २ विदेशों में (वीर-निर्वाण-परिचर्चा) गणेश ललवानी, दिसम्बर, पृ. ४१ .
. सवाल सीधे, जवाब मुश्किल : भानीराम विद्रोही आत्माएँ : खलील जिब्रान,
'अग्निमुख', मई, पृ. १७ (समीक्षा), सितम्बर, पृ. ३५
संपादकीय : एक सृजनशील बेचैनी : विष्णु सहस्रनाम (विनोबाजी की हस्त- डा. शीतला मिश्र, मार्च, पृ. ३३ लिपि में) : (समीक्षा), अक्टूबर-नवम्बर, संयम : देह का कौर; तप : तलवार की
धार : जनवरी-फरवरी, आवरण-पृ. ४
पृ. २७
चौ. ज. श. अंक
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