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________________ वर्ष ६ (मई १९७६ से अप्रैल १९७७) आँचल और दाग : लक्ष्मीनिवास बिरला, जनवरी-फरवरी, पृ. ५४ अतुल तुला ( संस्कृत काव्य): मुनि नथमल, (समीक्षा), मई, पृ. ५२ __इन्दिरा गांधी का भारत : नियति के ___ अद्भत प्रेमालिंगन (वीर-कथा-प्रसंग): मई, प. ५३ द्वारा पर : महेन्द्र चतुर्वेदी, (समीक्षा), इन्दीवर जैन, अप्रैल, पृ. २२ उपलब्धियाँ : शोध के क्षेत्र में (वीरअनत्तर योगी तीर्थंकर महावीर : निर्वाण-परिचर्चा) : डा. कस्तूरचन्द (पुस्तक-परिचर्चा) : दिसम्बर, पृ. ६९।। कासलीवाल, दिसम्बर, पृ. ४२ अनेकान्त का मानस्तम्भ (अनुत्तर योगी ___एक अचूक नुस्खा (बोधकथा): तीर्थंकर महावीर - खण्ड ३, अध्याय देवेन्द्र मुनि शास्त्री, अगस्त, आवरण५): वीरेन्द्रकुमार जैन, अप्रैल, पृ. २७ । अपनी एक, पड़ोसी की दो (बोधकथा): एक अमर गाथा (बोधकथा) : नेमीचन्द आचार्य रजनीश, मार्च, आवरण-पृ. २ । पटोरिया, सितम्बर, पृ. १२ अविनीत : विनीत: मार्च, आवरण-पृ. ४ एक आयास अनायास (काव्य-संग्रह): अवर और अभय कितने सुखद (मेहमान शिव जायसवाल, कमलाकान्त कमल, एक क्षण) : प्रतापचन्द्र जैन, सितम्बर, आदर्श, श्रीमती मंजु गोविन्द, (समीक्षा), प.३ अगस्त, पृ. ४६ असल में महावीर होने का मतलब है : एक उगता हआ सूर्य (युवा आचार्य आचार्य रजनीश, अप्रैल, आवरण-पृ. २ विद्यासागरजी) : नरेन्द्र प्रकाश जैन, __ अस्वीत सूर्य (काव्य-संग्रह): डा. जनवरी-फरवरी, पृ. ३१ सुरेन्द्र वर्मा, (समीक्षा), अगस्त, पृ. ४७ ए कल्चरल स्टडी ऑफ द निशीथ ___अहिंसा कुछ करने को कहती है : चूर्णि (अंग्रेजी): डा. श्रीमती मधुसेन, माणकचन्द कटारिया, सितम्बर, पृ. २८ (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ८९ अहोदानम्, (खण्ड काव्य) : मुनि विनय- एक ठाँव, जहाँ रुकना जरूरी है : कुमार 'आलोक', (समीक्षा), मार्च, पृ.३७ संपादकीय, जून, पृ. ९ आज : कितना कीमती, कितना बहु- ____ एक बूढ़ी किताब (सम्यग्ज्ञानदीपिका): मूल्य : डा. रामचरण महेन्द्र, सितम्बर, मंपादकीय, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ७ आवरण-पृ. २ एक रोशनदान : अंधेरी दुनिया में आत्मविश्वास (बोधकथा) श्रीचन्द्र (कविता) : उमेश जोशी, जून, पृ. ७ सुराना 'सरस', जनवरी-फरवरी, आवरण- एक सिरे से दूसरे सिरे तक (जैन पत्र पत्रिकाओं के २५०० वें वीर निर्वाणोत्सवआदमी, दोस्त, दुश्मन (क्षणिकाएँ): । वर्ष में प्रकाशित संपादकीय अंश), दिसशशिकर, जून, पृ. ३९ म्बर, पृ.६ __ आध्यात्मिकः नेता : जे. कृष्णमूर्ति, 'कबीर यह घर प्रेम का' : भानीराम मई, पृ. १२ 'अग्निमुख', सितम्बर, पृ. ९ । आप भले जग भला : श्रीमन्नारायण, कब्र की सिखावन (बोधकथा) : (समीक्षा), सितम्बर, पृ. ३६ नेमीचन्द पटोरिया, जून, आवरण-पृ. ३ आप्तमीमांसा-तत्त्वदीपिका : संपादक- कम-से-कम अधिक-से-अधिक : संपादउदयचन्द जैन, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ.८६ कीय, सितम्बर, पृ. ५ .१८८ तीर्थकर : नव. दिस. १९७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520603
Book TitleTirthankar 1977 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1977
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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