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महाकवि हरिचन्द्र : एक अनुशीलन : मित्रता सब में सबकी : डा. कमलचन्द डा. पन्नालाल जैन, (समीक्षा), पृ. ३९ सोगानी, सितम्बर, पृ. २१
महावीर : अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य : मूर्ति-प्रतीक' (कविता): राजेश जैन, डा. नेमीचन्द जैन, अक्टूबर-नवम्बर, अगस्त, पृ. १२ पृ. ४९
___ यतिक्रान्ति का घोषणापत्र 'कलमनामा' : महावीर : अहिंसा और सह-अस्तित्व : मुनि देवेन्द्र विजय : जून-जुलाई, पृ. १९ माणकचन्द कटारिया, अक्टूबर-नवम्बर, ___रत्नराज से राजेन्द्रसूरि (जीवन-चित्र):
जून-जुलाई, पृ. ७९ ___ महावीर और बुद्ध : चीमनलाल चकु
रमा जैन : एक बिदाञ्जलि (कविता): भाई शाह, अप्रैल, पृ. १६ ।
लक्ष्मीचन्द्र जैन, सितम्बर, पृ. ३० ___ महावीर का अपरिग्रह, : कितना ग्राह्य ?
राजेन्द्रकोश में 'अ' : मुनि जयन्तविजय (टिप्पणी): डा. निजामुद्दीन, मई, पृ. २३ 'मधुकर' (समीक्षा), अक्टूबर-नवम्बर,
महावीर का दिगम्बरत्व : डा. निजामु- . पृ. ६७ द्दीन. अप्रैल, पृ. ४४
- राजेन्द्रसूरि का समकालीन भारत : ___ महावीर का धर्म-दर्शन : आज के संदर्भ जून-जुलाई, पृ. ९१ में : वीरेन्द्रकुमार जैन, अक्टूबर-नवम्बर, राजेन्द्रसूरि : जिनके कलमनामे ने रूढ़ियों
के सर कलम किये : डा. नेमीचन्द जैन, ___ महावीर की ओळखाण (राजस्थानी) : मई, पृ. १५ डा. शान्ता भानावत, (समीक्षा), राजेन्द्रसूरि-जीवनवृत्त : जून-जुलाई, सितम्बर, पृ. ४०
पृ. ३५ ___ महावीर की भाषा : डा. भगवतीलाल
___रूप-स्वरूप, अनुभूति, राजमार्ग-बीहड़ पुरोहित, अप्रैल, पृ. २७
(क्षणिकाएँ): कन्हैयालाल सेठिया, मार्च, महावीर की महत्ता : डा. प्रभाकर प. २२ माचवे, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ३७
लोटा खाली करो (बोधकथा): नेमी__ महावीर के विदेशी समकालीन : डा. चन्द पटोरिया, मई, प. २७ भगवतशरण उपाध्याय, जून-जुलाई, पृ.१५९ वचनदूतम् (काव्य) : मूलचन्द शास्त्री
महावीर जीवन में ? : माणकचन्द (समीक्षा), मार्च, पृ. ४५ कटारिया, (समीक्षा), माचे, पृ. ४३
वडढमाण चरिउ : एक बहमल्य अप__ महावीर-युग की महिमामयी महिलाएँ : भ्रंशकाव्य, (समीक्षा), अप्रैल, पृ. ४७ श्रीमती हीराबाई बोरदिया, (समीक्षा), वर्धमान रूपायन : श्रीमती कुन्या जैन, अगस्त, पृ. ३९
(समीक्षा), फरवरी, पृ. २९ महिला-वर्ष : परिनिर्वाण : हम : हमारा वर्धमान रूपायन (पुस्तक-परिचर्चा): दायित्व : मंजु कटारिया, सितम्बर, पृ. ३१ मार्च, पृ. ३७
माध्यम नहीं हैं शब्द (गीत): नईम, वापसी : अंधेरों से रोशनी में (बोधजून-जुलाई, पृ. १४६
कथा) नेमीचन्द पटोरिया, अप्रैल, आव___ मानवता के मन्दराचल भगवान् महा- रण-पृ. २ ।। वीर : जमनालाल जैन, (समीक्षा), वापसी खुद की, खुद में : संपादकीय, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ६८
सितम्बर, पृ. ५ १८६
तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७
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