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दशपुर के पुरातात्त्विक जैन अवशेष : डा. सुरेन्द्रकुमार आर्य, अगस्त, पृ. २७ दहेज (खिड़की - पाठकीय मंच ) मार्च, पृ. ३
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४
देह नाव, विदेह मल्लाह : भगवान् महावीर ने कहा था, मई, आवरण-पृ. अन्धे शासक ( बोध कथा ) : अयोध्या - प्रसाद गोयलीय, दिसम्बर, पृ. २०
धर्म के द्वार चार: क्षमा, सन्तोष, सरलता, कोमलता : भगवान् महावीर ने कहा था, अक्टूबर-नवम्बर, आवरण-पृ. ४
नदी की तलाश ( कविता ) : जयकुमार जलज, दिसम्बर, पृ. ७
नाभिक प्रकाश, अटपटी बात, अस्मिता ( कविताएँ ) : डा. सुरेन्द्र वर्मा, मार्च, प्र. २१
निरर्थक हैं : बिना अंवें में पका घड़ा, बिना साधना में खपा तपी, मार्च, आवरणपृ. ४
निर्वाण वर्ष कहीं ऐसा न हो कि विक्रमकुमार जैन, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ३५ नैतिकता के नये मूल्यों की तलाश : कमलेश्वर, मई, पृ. ९
परमाणु सिद्धान्त : डा. एम. जी. परमेश्वरन, (समीक्षा), सितम्बर, पृ. ३९ पाप-पुण्य उपाध्याय मुनि विद्यानन्द, अप्रैल, पृ. ३१
पार्श्वनाथ यात्रा, बर्बरता से मनुजता की ओर, जून-जुलाई, पृ. १५५
प्रगतिशील जैन मनीषा : वीरेन्द्रकुमार जैन, फरवरी, पृ. ११
प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ : डा. ज्योतिप्रसाद जैन, (समीक्षा), अगस्त, पृ. ३९
डा.
पुरुष-पुराण : विवेकी राय, (समीक्षा), सितम्बर, पृ. ३७
'प्राण दे दूंगा, लूंगा नहीं' : अयोध्याप्रसाद गोयलीय, सितम्बर, पृ. १५
चौ. ज. श. अंक
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फिर देखो ( कविता ) रत्नेश 'कुसुमाकर '' मई, पृ. ५
भक्तामर : अनु. उपाध्याय मुनि विद्यानन्द, मई से फरवरी, आवरण-पृ. २
भक्तामर स्तोत्र : आत्मशक्ति का साक्षात्कार : डा. देवेन्द्रकुमार जैन,
फरवरी, पृ. १५
भगवान महावीर, उपदेश और परम्परा ( मराठी ) : डॉ. विद्याधर जोहरापूरकर, (समीक्षा), अगस्त, पृ. ३९
भगवान् महावीर : एक मुक्त चिन्तन : राजकुमार शाह, अप्रैल, पृ. १९
भगवान् महावीर के सन्देशों में लोकमंगल : बाबूलाल पटोदी, अक्टूबर-नवम्बर,
४३
भगवान् महावीर स्मृति ग्रन्थ : संपा. डा. ज्योतिप्रसाद जैन, (समाक्षा), अप्रैल, पृ. ५०
भयभीत मैं अभय कहाँ ? : वीरेन्द्रकुमार जैन, दिसम्बर, आवरण- पृ. ४
भारतीय नीतियों का पुनर्विवेचन : कन्हैयालाल सरावगी, अगस्त, पृ. ३० भी ( कविता ) : रत्नेश 'कुसुमाकर', पृ. ६ भीड़भरी आँखें मुनि रूपचन्द्र, (समीक्षा), दिसम्बर, पृ. ३९
मई,
भूख : दवानल-सी : विक्रमकुमार जैन, मार्च, पृ. ३३
भोला पंडित की बैठक : डा. बरसानेलाल चतुर्वेदी, (समीक्षा), फरवरी, पृ. ३०
बदलते संदर्भों में महावीर की भूमिका : यशपाल जैन, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. २७
बीज मन्त्र ! : निर्ग्रन्थ ( कविता ) : कन्हैयालाल सेठिया, मई, पृ. ५
बोधक्षणिकाएँ (पर्युषण): दिनकर सोनवलकर, सितम्बर, पृ. १३
मगर आसमाँ एक है ( कविता ) : मुनि चौथमल, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ३१
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