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क्या करें हम रूप पर अभिमान (गीत) : जैनधर्म और भगवान महावीर : डॉ.
खतरे : कितने (?) : संपादकीय, देवेन्द्रकुमार जैन, (समीक्षा), सितम्बर, मार्च, पृ. ७
पृ. ३९ गजराती जैन साहित्य : एक विहंगाव- जैनधर्म : व्यापकता और नैतिकता का लोकन : गुणवन्त अ. शाह, दिसम्बर, सवाल (टिप्पणी) : बी. टी. बजावत, पृ. २३
मार्च, पृ. ३५ __ घटनाएँ, जो भुलाये नहीं भूलती : जैन पत्र-पत्रिकाएँ : कैसी हों? : अगरअयोध्याप्रसाद गोयलीय, अक्टूबर-नवम्बर, चन्द नाहटा, जनवरी, पृ. २८ पृ. २४
जैन वाङमय की अपूर्व देन 'आत्मा ' : ___ चलो, पार इन सबके : भानीराम बलवन्तसिंह मेहता, अगस्त, पृ. ३५ 'अग्निमुख', अप्रैल, पृ. ३८
जैन साहित्य : कब से, कितना, कैसा? : चिन्तन; लीक से हट कर : निरंजन डॉ. नेमीचन्द जैन, सितम्बर, पृ. २५ जमादार, अक्टूबर-नवम्बर, पृ. ९७
जैन साहित्य में राजनीति : कन्हैयालाल छिमा : तेरे रूप कितने, फरवरी, पृ. ३ सरावगी, अक्टूबर-नम्बर, पृ. ५७
जड़ : सन्तोष तप की, लोभ मोह की, जैसे शरीर में सिर, वक्ष में जड, वैसे जनवरी, आवरण-पृ. ४
साधत्व में ध्यान : भगवान महावार ने जय राजेन्द्र तुम्हारी (कविता) : कहा था, जून-जुलाई, आवरण-पृ. ४ मनि जयन्तविजय 'मधुकर', जून-जुलाई, ज्योतिष एवं श्रीमद राजेन्द्रसरि : पृ. २६
मुनि जयन्तविजय ‘मधुकर', जून-जुलाई, जिन्दगी : घेरों से बाहर : भानीराम 'अग्निमुख', मार्च, पृ. ११
ज्ञाता, अनेकान्त (क्षणिकाएँ) : कन्हैयाजीवन के आमन्त्रण (बोधकथाएँ) : लाल सेठिया, अप्रैल, आवरण-पृ. ३ निहालचन्द्र जैन, (समीक्षा), जनवरी,
ज्ञान-समाधि : मुनि नथमल, जून
जुलाई, पृ. १७४ जीवन-परिवर्तन : एक प्रश्न-चिह्न :
___टूटा सिलसिला (गीत) : कन्हैयालाल माणकचन्द कटारिया, अप्रैल पृ. ११
_ सेठिया, जनवरी, पृ. १६ जीवनव्यापी अनेकान्त : जमनालाल
तपोधन श्री राजेन्द्रसूरिजी : मुनि जैन, दिसम्बर, पृ. ३३
जयवन्तविजय ‘मधुकर', जून-जुलाई, पृ. ४० जीवन-शिल्पी श्रीमद् राजेन्द्रसूरि :
तर-तम त्रिकोण, प्रति-प्राण, संकल्पमाणकचन्द कटारिया, जून-जुलाई, पृ. १३ । जैनदर्शन : पारिभाषिक शब्दों के
शक्ति, कुर्वन्नेवेह (कविताएँ) : भवानी
प्रसाद मिश्र, अप्रैल, पृ. १५ माध्यम से : डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, जून-जुलाई, पृ. १२६
_ 'तीन थुई' सिद्धान्त का परिचय : जैन-दर्शन में शब्द-मीमांसा : डॉ. जून-जुलाई, पृ. ११२ देवेन्द्रकुमार शास्त्री, जून-जुलाई, प. १३९ तोथंकर-जीवन-दर्शन : डा. प्रद्युम्न__जैनदर्शन : स्वरूप और विश्लेषण : कुमार जैन, (समीक्षा), जनवरी, पृ. ३० देवेन्द्र मुनि शास्त्री (समीक्षा), जनवरी, थोड़े दुख-दरद भी जरूरी है : कान्ति
भट्ट, मार्च, पृ. १७
तीर्थकर : नव. दिस. १९७७
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