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अध्यात्म-रहस्यों की खोज
"अध्यात्म का एक बहुत बड़ा रहस्य जो अध्यात्म के सूत्रों से उजागर हुआ है, वह है--राग का क्षण, द्वेष का क्षण हिंसा है; और अ-राग का क्षण, अ-द्वेष का क्षण अहिंसा है। ___ "अध्यात्म का एक महत्त्वपूर्ण रहस्य यह भी है कि किसी के लिए कोई जिम्मेवार नहीं है। सारी घटनाओं के लिए जो अंतिम उत्तरदायी है, वह अपनी आत्मा है, अपना अध्यवसाय है।
- मुनि नथमल
हम किसी व्यक्ति के साथ बीस वर्ष जी लेते हैं, पर उसे पहचान नहीं पाते। दूर के व्यक्ति को पहचानना कुछ आसान होता है, किन्तु जिस व्यक्ति के पास रहते हैं, उस व्यक्ति का पता लगाना, उसे जान पाना बहुत कठिन होता है।
अध्यात्म का विषय इतना निकट, इतना अभिन्न है, इसीलिए यह रहस्य बना हुआ है; किन्तु इस रहस्य का उद्घाटन किये बिना हमारी कोई गति भी नही है। आज तक दुनिया में जितना विकास हुआ है वह रहस्यों के उद्घाटन के द्वारा ही हुआ है। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में भौतिक वैज्ञानिकों ने रहस्यों का उद्घाटन किया और आज वे अणु-विस्फोट की भूमिका तक पहुँच गये। मानसिक जगत् में मनोवैज्ञानिकों ने बहुत सारे रहस्यों का उद्घाटन किया और वे अवचेतन मन की भूमिका तक पहुँच गये। अन्य किसी भी क्षेत्र में जब रहस्यों का उद्घाटन हुआ तब शक्ति का स्रोत उनके हाथों में आ गया। रहस्यों का उद्घाटन किये बिना शक्ति का स्रोत उपलब्ध नहीं होता; और शक्ति का स्रोत उपलब्ध हए बिना संसार का विकास हो नहीं सकता। आज का सारा विकास, भौतिक जगत् का सारा विकास बिजली और ईंधनों पर निर्भर है। पेट्रोल की एक समस्या उत्पन्न होती है
और सारे राष्ट्र डगमगा जाते हैं, 'चिन्तामग्न हो जाते हैं। उनके सारे शक्ति-स्रोत सूखने लग जाते हैं। आप कल्पना करें कि यदि आज विश्व में पेट्रोल न हो, बिजली न हो, आण्विक इंधन न हो तो क्या यह विकास टिक सकता है ? कभी नहीं। यह सब कुछ बिजली के आधार पर चल रहा है। हम इस बात को न भूलें कि हमारी शक्ति के विकास का एक स्रोत बिजली है। जैसे वर्तमान का सारा विकास बिजली पर निर्भर है, वैसे ही अध्यात्म-शक्ति का विकास भी बिजली पर निर्भर है। यह अध्यात्म का रहस्य है।
चौ. ज. श. अंक
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