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जीवन और मरण एकाकार 'विवेकशील मनुष्य का सबसे पहला कर्त्तव्य यही है कि वह अपने जीवन को ऐसी ऊंची भूमिका पर पहुँचाये कि जहाँ जीवन और मरण एकाकार हो जाएँ । मृत्यु के पश्चात् उज्ज्वल भविष्य की कल्पना उसे निश्चिन्तता प्रदान कर सके।
-मुनि चौथमल
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