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________________ व पंच अणुव्रतों की व्याख्या कथापूर्वक की गयी है। स्वाध्याय करने वालों को बहुत प्रभावित करती हैं ये कथाएँ। इस युग का यह महान् काव्य-मनीषी हुआ। राजादित्य __बारहवें शतमान के प्रारंभिक भाग में ही यह कवि हुआ है। इसने गणितशास्त्र पर रचना की है। गणित-शास्त्र पर ही इसकी अधिक अभिरुचि प्रतीत होती है। कोतिवर्म ___ सन् ११२५ ई. में यह कवि हुआ है। वैहक शास्त्र के अंगभत गोवैद्य पर इसने लिखा है। इससे ज्ञात होता है कि पशु-वैद्य के विषय में भी जैन ग्रंथकारों की अच्छी गति थी। आयुर्वेद विषयक ग्रंथ तो जैनाचार्यों ने लिखा ही है। कर्णपार्य करीब ११४० ई. में यह कवि हुआ है। इसने कन्नड में सुंदर रूप से नेमिनाथ पुराण की रचना की है, जो सर्वप्रिय हो गया है। नागवर्म यह १२ वें शतमान के मध्यभाग में हुआ है। इसकी न्याय, व्याकरण-साहित्य पर अच्छी गति थी। इसने काव्यावलोकन, अभिधान वस्तुकोष, कर्णाटक भाषाभूषण एवं छंद: शास्त्र आदि रचना की है। अन्य ग्रंथ भी होंगे, परन्तु अनुपलब्ध हैं। सोमनाथ ___ यह करीब ११५० ई. में हुआ है। इसने कल्याण कारक नामक कन्नड वैद्यक ग्रंथ की रचना की है। शायद यह पूज्यपाद-कृत कल्याणकारक की कर्नाटक व्याख्या है। आयुर्वेद के संबंध में जैनाचार्यों ने जिन ग्रंथों का निर्माण किया उनका नाम विशेषतः कल्याणकारक ही रखा गया, क्योंकि उससे जगत् का कल्याण हुआ। ___ इसी प्रकार इस बारहवें शतमान में वृत्त विद्यास (११६०) ने शास्त्रसार की रचना की। नेमिचन्द्र (११७०) ने लीलावती व नेमिनाथ पुराण की रचना की है। लीलावती एक सुंदर चंपू ग्रन्थ है। इसके बाद बोधण देव ने स्तुतिस्तोत्रादि विषयक ग्रंथों की रचना की है। करीब ११८२ ई. में अग्गत देव नामक कवि हुआ जिसने चन्द्रप्रभु पुराण की रचना की है। सन् ११९५ में आचण्णा कवि ने वर्धमान पुराण लिखा है जिसमें भगवान महावीर के चरित्र के संबंध में सांगोपांग विवेचन है। १२०० ई. में बंधवर्म नामक ग्रंथकार हुआ; जिसने हरिवंशाभ्युदय नामक पौराणिक ग्रंथ एवं जीव संबोधन नामक आध्यात्मिक ग्रंथ की रचना की है। जीवसंबोधन में आत्महित को दृष्टि में रखकर आत्मा को संसार से पार होने के लिए मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक २०९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520601
Book TitleTirthankar 1974 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1974
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size5 MB
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