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सापेक्ष विकल्प
अनन्त होना बहुत मुश्किल हैहोता है कोई एक
शताब्दियों में
कभी-कभी ।
लेकिन
सहज है शून्य होना हो सकते हैं सभी ।
शून्य और अनन्त के
बीच ही
फैला है विस्तार |
यूँ अनन्त भी है
मात्र एक बिन्दु
और
बिन्दु के भीतर है
ऊर्जा अनन्त ।
दोनों के बीच
अंकों की जितनी भी गणना है
निरर्थक
जोड़ना और घटाना है !
मुनिश्री विद्यानन्द - विशेषांक
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अहम् पीड़ित
दिनकर सोनवलकर
जब
सक्रियता से पौधे को
लग जाता है
अहंकार का कीड़ा
तो फिर उसमें नहीं खिलते उपलब्धियों के फूल ।
ऐसे वृक्ष
हरे-भरे बागीचों में भी
अलग खड़े रहते हैं
ठूंठ से त
और
अपनी बाँझ ऊँचाई को भी साबित करते हैं
एक नया मूल्य ।
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