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________________ अनुसन्धान-७९ लाख लोक इम बोलइ वचन्न, वायस कोटई बांध्यं रतन्न कुष्टी पेडू हरख्युं बहू, ऊतारइ लेइ ग्या वहू ॥२८॥ सुरसुंदरि बोलावी राय, मनगमतउ वर मांगउ माय आम तात जउ मांग्युं लहुं, मनवल्लभ वर नामज कहुं ॥२९॥ कैरिजगुल संखपुरी सामि, अरिदमण नरेसर नामि । आमे तात जउ हुयइ ऊछाह, ए वरसुं मुझ करो वीवाह ॥३०॥ रायतणइ मनि हुयउ उछरंग, वेची धननइ कीधउ जंग भली सजाई भूपति करइ, सुरसुंदरी चालि सासरइ ॥३१॥ अंबर आगलि मयणा भणइ, चालउ जईयइ जिणवर भेटणइ राणु ऊठियओ तेणइ वयणि, बे पहुता जिणवर भूयणि ॥३२॥ जिण पूजी वलीया दंपती, संघसहित तिहां देखइ यती भाविइस्युं वंदइ मनिपाय, कर जोडी बइठा तसु ठाय ॥३३॥ बोलइ मयणा सुणउ रिषिराज, सारउ एक अम्हारं काज ते कांईं प्रभु आपउ मंत्र, नीरोगी जिम हुयइ कंत ॥३४॥ सहगुरु कहइ आंबिल तप करउ, जप मांडउ नवपदनउ खरउ आसोई चैत्र आठमि धुरि धवल, नवपद नव ओली ए विमल ॥३५।। पूजउ सिद्धचक्र त्रिण काल, कुष्ट अढारतणओ ए काल सहगुरू वयण लही तप करइ, दिन दिन दाठिक रोग ओसरइ ॥३६।। यंत्रतणुं जल लेई चंग, छांटइ छयं(य)ल अ(उ)बरना अंग नाठउ रोग तावडि जिम त्रेह, सातइसई नर वलीया देह ॥३७॥ अंबर टली हुयउं श्रीपाल, सहगुरु वयण फल्युं ततकाल कुमरीनइ मनि अधिकउ भाव, देखी जिनशासन परभाव ॥३८॥ ॥ वस्तु ॥ मयणसुंदरि मयणसुंदरि, नाह श्रीपाल एक दिवस अरिहंत घरि, नारि एक आवंति पेखि १४.-१६. अम ॥ १५. कुंडलयुगल ॥ (कुरुजांगल) १७. गुरुपाय ॥ १८. नवदिन ॥ १९. प्रति ॥ २०. अतिघणो ॥
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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