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________________ जान्युआरी - २०२० २७ त[त] खिण अलजइ जई मिलइ, माइ पुत्र मुहकमल पेखइ । सासू पगि वेगई पडी, राजकुंअर(रि) सुविचारि पूछइ कुशल ज वत्तडी, बइठा भवन मझारि ॥३९।। ॥ वस्तु ॥ भणइ कमला भणइ कमला, निसुणी वहु वत्स२१ तुम्ह ससरउ परलोकि गयउ, देस राज ए बालक परट्ठीय ततखिण वयरी वींटियउ, कुमार लेई हुं विगर्मि नदिट्ठीय (नट्ठीय) दुज्जण डरती जई मिली, कुष्टी पेडामाहि संगति विणठउ पुत्र तन मुझ चिंता थई माय ॥४०॥ ॥ दूहा ॥ पुत्र पडींगण जोइवा, हुं चाली सुविचारि (र) । जोयउ मुझ न्यानी मिल्यउ, पूछ्युं कुशल कुमार ॥४१॥ न्यानी केरइ बोलडइ, हुं आवी इण ठामि नीरोगी बेटउ मुझ मिल्यओ, कुलवहू बुझ प्रमाणि ॥४२॥ रूपसुंदरि पीहरि गई, मयणां तणई वियोगि तिहां आवी जिन भेटिवा, दैवह तणइ २३संयोगि ॥४३॥ ॥ भाषा ॥ मयणसुंदरी भरतारसुं नयणे निहाली रूपसुंदरि झाखी हुई, कां ए जनमी बाली । नीर झरइ लोयण घj, कुल लाजइ बाधी मयणि निहाली माइनी, मन चिंता लाधी ॥४४॥ हसत वदन हरणांखीइं, जणणी आलंगी पूरव वात सहूए कही, तिण गुणेहिं रंगी अंगदेस सं(सिं)हरथ नाम, चंपा भूपालो कमला कुखइ ऊपनउ, कूअर२४ श्रीपालो ॥४५॥ २१. वहुवत्ति । २२. वगडि। २३. वियोगि॥ २४. राजाश्री श्रीपालो ॥
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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