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जान्युआरी - २०२०
साचु बोलइ थास्यइ मर्म, हर्ता कर्ता एकज कर्म कर्म संयोगइ जेहनइ जिस्यउ, मिलस्यइ वर आवी ते तिस्यउ ॥१७॥ मयणसुंदरिना सुणीआ वयण, रायइं रत्तां कीधइ नयण सुणिज्यो सु(स)भा सभापति जाणं, जिमइ जुआरिनइ कडब नीआण ॥१८॥ कोपइ धमधमतउ नरनाह, चढी तुरंगम बाहिरि जाय आगलि ऊडइ अति घणी खेह, कहि महिता स्युं आवइ एह ॥१९॥
दूहा मंत्रीसर इणपरि भणइ, सुणि मालवपति वात ए पंडूर कुष्टीतj, ए संख्या सइ सात ॥२०॥ राजन मुंकउ वाटडी, वालउ वेगि तुरंग इहां जावा युगतुं नही, ल्यउ दिसि अवर सुचंग ॥२१॥
॥ चउपई ॥ .. झटकी भूपति पाछउ वल्यउ, दूत उंबर- केडइ मिल्यउ थिरै थिर रहइ ऊजेणी धणी, सुणि वीनती राय एक अम्हतणी ॥२२॥ राय घणे संतोष्यउ दानि, कीर्ति ताहरी निसुणी कानि नारि एक अम्ह स्वामी आपि, नही तउ कीर्ति तुझ ऊथापि ॥२३॥ राय भणइ ए थोडं काज, कीर्ति कुंण विणासइ आज । तुम्ह स्वामी वेगइ बोलावि, अम्ह मंदिर ते तेडी आवि ॥२४॥ राजभवनि आव्यउ भूपाल, मयणसुंदरि बोलावी बाल कर्मि तुम्हारइ आण्युं आज, आ अंबर परणउ वरराज ॥२५॥ जब आदेस हूअउ नरनाथ, तब कुमरी ग्राउ कुष्टी हाथ हठि चढीयउ ऊजेणी नाह, चिहुं कलशे कीधउ वीवाह ॥२६॥ एक नटेइ पंडित, भण्युं, एक नटइ१२ धर्म अरिहंततj एक नइ ए मूंडी माय, एक भणइ वरांस्यउ राय ॥२७॥
७. जाण अजाण । ९. पेडो ॥ ११-१२. निंदई ॥
८. जारी। १०. उभो रहे ॥ १३. भणे ॥