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अनुसन्धान-७९
चउपई गिरुयउ मालव मंडन देस, जिहां ऊजेणी नयर निवेस राज करइ पुहवीय नरिंद, जाणे जगि अवतरीयउ इंद ॥५॥ सोहगसुंदरि राणी नाम, बीजी रूपसुंदरि अभिराम गुण सोभागइ रतनइ प्रीति, बे चालइ भूपतिनइ चीति ॥६॥ पुत्री रयण अछइ तसु नारि, सुरसुंदरि बेटी सुविचारि मयणसुंदरि बीजी बुद्धिवंत, लीला लहूं करइ गुणवंति(त) ॥७॥ सुरसुंदरि पंडितनइ पासि, सास्त्र मिथ्यात भण्या उल्लासि मयणाई सीख्यउ सिद्धांत, कर्मग्रंथ तसु वसीयउ चीति(त) ॥८॥ राय बोलावइ मननइ रंगि, बेहू बइसारी लेइ उछंगि देखी कुमरी चिंतइ भूप, कइ कमला कइ सरसति रूप ॥९॥ मन हरखइं बोलावइ राय, समस्या एक भणउ अम्ह माय मुझ पूछी जे समस्या कहइ, वंछित वर ते बेटी लहइ ॥१०॥ भणीयउ भूपति पदनउ छेह, कहउ कुण पुण्यइं लहिस्यइ एह . जं जं मनि आंपणइ सुहाय, सुरसुंदरि बोली तसु ठाय ॥११॥ धन यौवन विचक्षणपणुं, रोगरहित नइ रूप ज घj मनवंछित जउ मिलीयउ नेह, राजन पुण्यइ लाभइ एह ॥१२॥ मयणसुंदरि बोलावी बाल, भणइ समस्या कहइ भूपाल जिणवर वचन चतुर चित्त लहइ, वाणी अमी समाणी कहइ ॥१३॥ विनय विवेक विचार संतोष, निर्मल शील देह निरदोष मुक्ति सखीस्युं अविहड नेह, राजन पुण्यई लाभइ एह ॥१४॥ आणंदियउ बोलइ महाराज, हुं तुम्ह तूठउ बेटी आज . मई तूठइ तूठओ जगदीस, ततखिण मयण हलायउ सीस ॥१५॥ खंति धरी मालवपति भणइ, सीस हलावियउ कारण किणइ आभात (आम) तात अणबोल्या रहउ, फोकट गर्व सभामाहि वहउ ॥१६॥
४. लहुअ लगें गुणवंत । ५. बेटीनें।
६. देइश राज ।