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________________ ओक्टोबर - २०१९ देवदयाल दुखियो घj, थयो संयम हो विण चिहुंगति मांहिं के, अ० हुं सुखियो थयो साहिबा, जिनवरजी हो वलगो तुम बाहि के ॥१७॥ अ० पंचमहाव्रत उच्चरी, लीउं चारित्त हो चडति परमाणि(परिणाम)के, अ० ढाल कहि ए पांचमी, ना(न्या)नसागर हो निरजरानि कामिके ॥१८॥ अ० दूहा ॥ तिणिवेला थिविरनइं, सुंपइइं जगदाधार, नंदिषेण अणगारनइं, सीखववा आचार ॥१॥ मातपिता आदि सह, अंतेउर परिवार वांदि निजमंदिर वल्या, कीधो वीर विहार ॥२॥ [ढाल-६] माहरी सही रे समाणी - ए देशी ।। आवश्यक षट् आदिथी मांडी, अंग इग्यारई वारु रे भणइ वीरनी आ(वा)णी, [आंकणी] नंदिषेण मुनि थिविरनि पासई, थया दस पूरव ४९धारू रे ॥१॥ भ० जेह घj साकरथी मीठी, जेहवी अमीरस खाणी रे, भ० आंबिलि नीवी नई छट्ठअट्ठम, दसम दुवालसम जाणी रे ॥२॥ भ० मासखमण दुढमासी बिमासी, तप करि उलट आणी रे, भ० ॐ संयममांहि अति मनभीनों, सही साधु सुंमति गुणखांणी रे ॥३॥ भ० ॥ उग्रपणइ करतां इम तपथी, उपनि लबधि उद्योति रे, ॥३॥ भ० साढि बारह कोडि सोनानी, धरि कर तिहां वृष्टि होते(ति) रे, भ० एकदिन जिन कह्नई आज्ञा मागि, विहार करेवानी सारी रे, [भ०] तन्निसुणी प्रभू मुखं यंपइ, भोगकरम छइ भारी रे ॥४॥ भ० तो पणि एम सुणि मुनि तिहांथी, विचरइ उग्रविहारि रे, भ० तीव्र घणुं तप करतां तेहनइं, काम नडि दुरवारी रे ॥५॥ भ० ४०. देवरतन - ड। ४२. पाणी - अ। ४३. चारी - ब । ४१. पूरवनाणी - अ। ४२. पाणी - अ।
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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