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________________ ५४ अनुसन्धान-७७ एक संस्कृत स्तुति - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि आ शकेश्वरपार्श्वनाथनी स्तुति छे. गुजरातीमां 'थोय' तरीके ओळखाती तथा धर्मक्रियामां बोलाती ते रचना छे. जैनोमां प्रसिद्ध 'वरस दिवसमां अषाढ चोमास, तेमां वळी भादरवो मास, आठ दिवस अति खास' आ तथा आवी थोयोना ढाळमां रचायेली आ संस्कृत थोय छे. आवी रचना प्रायः प्रथमवार जोवा मळी छे. थोयनां बधां लक्षणो आमां जोवा मळे छे. समासप्रचुर, प्रासमधुर अने पाण्डित्यदर्शक आ रचना कवि कान्तिविजयजी नामना कवि-साधुए करी छे. तेमना गुरुनु नाम प्रेमविजयजी छे. १८मा शतकना ते कवि छे. तेमनी गुजराती गेय भक्ति-रचनाओ जैनो खूब गाय छे. तेमनी रचनाओ अत्यन्त भाववाही अने भक्तिमय होय छे. तेओ संस्कृतमां पण आवी विलक्षण अने प्रगल्भ रचना करी शकता हशे ते तो आ थोय जोई त्यारे ज ख्याल आव्यो. ____ आ रचनाना प्रकीर्ण पत्रनी जेरोक्स मुनिश्रीधुरन्धरविजयजीए आपी छे. तेमनो आभारी छु. 'थोय' ना पत्रमा छेवटे व्याकरणने तथा न्यायने लगती अभ्यासनोंध हती. ते पण यथातथ, थोयनी साथे ज - पाछळ प्रगट करवामां आवे छे. जो थोयनं पानु कर्ताए पोते ज लख्युं होय तो, आ अभ्यासनोंध तेमना विशद बोधनी साहेदी आपी जाय छे. स्वस्ति श्रीकुलगृहमभिराम -- प्रकटोद्धरगुणमणिगणधाम स्ववशहषीकग्रामः, योऽगमदव्ययपदमतिवाम-प्रकृतिमदाद्रिभिदात्याधामस्तजितदुर्जयकामः । निष्ठितमोहमहासंग्रामः कृतसमुदञ्चत्प्रतिघाचामः कल्पितशोकविरामः, भक्त्युल्लसदाशयसूत्राम-प्रमुखस्तुतसितकीयुद्दामस्तं पार्वं प्रणमामः ॥१॥ अविनश्वरसुखभूरुत्ताला-यतदुरितागवि दरजलबाला परममहोदयशालाऽविघ्नवती नवदहनज्वाला-शोषितकलुषविषयजम्बाला रचिताऽजन्योच्चाला । प्रत्यादिष्टभवभ्रमिफाला ज्ञानादर्शफलत्समकाला शमितकषायाङ्गाला, चरणप्रणमदमरनरपाला त्रिजगज्जाग्रद्वचनरसाला वन्द्याऽसौ जिनमाला ॥२॥
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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