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________________ जान्युआरी- २०१९ पसू छोडावी पाहड दिस, वाल्यो रथ तिवार । वात सुणी राजल वदै, कीधो स्युं किरतार ॥६॥ (ढाल - धण रा चाल्ही ओ देशी) नाह जिन जावो गिरनार हो, नेम नगीना छयल छबीला हो मुझने छेतरी . नव भव नेह संभार हो, ने० अबलानी मांनो हो वीनती अतरी ॥७॥ दूहा : श्रावण वरसै सरल है, गरजै मोर मल्हार __ वादल झबकै वीजली, भोगी सुण भरतार ॥८॥ ढाल : मांनो साहिब मुजरो हो, ने० परण औछाह हो प्यारा पदमणी गंभीर गुणरा गंज हो ने० कठिण थइयै हो कहीं इसी घणी ॥९॥ दूहा : भर भादु घुरै गयण, गहिरो तांण गोस चढीय घटा पपीयो चवै, जयुं जयुं वाधे जोस ॥१०॥ ढाल : भरमिय पहिलो भूली हो, ने० आडंबर जोवा हूं ऊभी रही। मेली जावो सौ समूली हो, ने० कपट अहवो हो को जाण्यो नहीं ॥११॥ दूहा : आसोजै आस्या करूं, सीप चाहे जिम स्वात सोल कलाथी शसी(शी) दहै, सरसः सरदकि रात ॥१२॥ ढाल : जोडै पंखी सजोडा हो, ने० रुडि पालै हो निसदिन अकठां सनेही थोडा हो, ने० छेह देवा हो न कीजै ते भवा ॥१३॥ दूहा : कृपा करो अब कातीइं, वली मनो चाडो वाट दिवस वडो दीवालीया, सुखनी कीजै साट ॥१४॥
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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