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________________ अनुसन्धान-७६ ते नारीनइ धरमी मूंकइ, साधु वचन आराधइ रे; सेवक जंपइ जिनवर जपता, रधि वृद्धि सुख वाघइ रे... पंडित० ५ [तलवार अने तेनी मूठ?] (९) च्यार नारि माटी मिली, माटी नीपनउ सार... रंगीले आतमा ते माटीनइ सहू इछइ, तुहि सील वृतधार... रंगीले आतमा० १ मांटी विण घट नवि चालइ, मांटी विण नवि रंग... रंगीले० कोइ इछइ कोइ भोगवइ, नवि थाइ सीलनउ भंग... रंगीले० २ मांटी विण ते नवि सरइ, जे संसारी होइ... रंगीले० एक जागइ नवि पांमीइ, बीजइ सघलइ जोइ... रंगीले० ३ ते माटी नानिउ मोटउ, भूमि वशइ खइ जोइ...रंगीले० विधिसिङ तेहनइ जे वरइ, ते अजरामर होइ... रंगीले० ४ तीरथंकर तेहनइ वंछि, मोटा वली अणगार... रंगीले० चक्री मोटा छत्रपतीं, वंछइ जे झूझार... रंगीले० ५ ए हरीआली ते कहइ, जेहनइ बुद्धि विशाल... रंगीले० सेवक जन जय जय नंदा, झूमखडानी ढाल... रंगीले० ६ [?] (१०) राग - रामगिरी चिन्तामणी चिन्ता - ए देशी एक प्रीउ नइ पांच पदमिनी रे, चंद्रवदनी नउ धरि चाल रे; रंगभरि ते सरिसउ रमइ रे, नव नवा भोग रसाल रे... १ नारी विण को दीसइ नही रे, न करू नारी खलखांच रे; घणी थोडी दीसइ त्रणि लोकमां रे, एक बि त्रिण च्यार पांच रे...नारी० २ नारी रमि नारी जिमइ रे, नारी गंधइ गंध विशाल रे; नारी जूइ नारी सूणइ रे, नारी करइ नर चित्त चाल रे... नारी० ३
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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