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________________ जान्युआरी- २०१९ घर नवि चालइ नारी विना रे,सुख दुःख नारीथी पाय रे; नारी वशि हुइ जेहनइ रे, तेहनइ अखय सुख थाय रे... नारी० ४ नारी हरीआली प्रीछ्यो रे,नथी पोष्यो मन नुराग; नारी नथी एक थानिकइ रे, सेवक कहइ धरम माग रे... नारी० ५ [आत्मा अने पांच इन्द्रिय] (११) सजनीनी देशी कहउ रे पंडित कुण ते नारी रे, हवडा कहियो अथवा विचारी रे; बि खंडयइ करी नारी पूरी रे, कर चरण करी तेअ अधूरी रे... कहउ० १ कान नही तस आंखि विहूणी रे, नाक विना पण नारी उणी रे; नारी सरसी नारी माहलइ रे, कोइ इक नबलु पुरष ते झालइ रे... कहउ० २ मूढइ खाइ पेटइ काढइ रे, खाती खाती बूंब ज पाडइ रे; तेहनू कढिउं सहू को झाडइ रे, तेहनी बूंब ते सूणीइ पाडइ रे...कहउ० ३ ते तु नारी पापइ पूरी रे, हिंसा करवइ नही अधूरी रे; तेहनइ छंडइ श्री अणगार रे, सेवक वंदइ वारंवार रे... कहउ० ४ [अनाज दळवानी घंटी]
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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