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जान्युआरी- २०१९
आ शब्दोना प्रथमाक्षरथी वाक्य बने -
नागउरि नगरि छजलाणी प्रासादि संतिनाथ वंदउ. हरियाली -
(१) जिणि विणु जगमांहि विष्णु न ब्रह्मा, जिणि विणु नर नहु नारी, जिण विण पवन न पाणी न पुहवी, जिणि विण तरु न संसारि,
विदुर विचारियइ हो, सुधउ जिनकउ धर्म; न्यानहीण न पामइ तिनकउ, न लहइ तिनकउ मर्म...
विदुर० १ जिणि विणु जिणवर गणधर नही, जिणि विणु बोध न साध; जिण विणु मोह न माया ऊपजइ, सोइ अर्थ मई लाध...
विदुर० २ जिण विणु सिद्ध न साधक शंकर, जिण विणु माइ न बाप; तिणि करि कलह कलंतर वाधइ, जिण मांड्यउ जगि व्याप...
विदुर० ३ द्रव्य-भाव भेदइ करि राखइ, जे नर-नारी आज; हापराज वाचक इम बोलइ सरस्यइ तेहना काज...
विदुर० ४ [ ? ] (सागरचन्द्रसूरि ज्ञानभण्डार, क्र. ८६/१३४२
पार्श्वग. जै. संघ, खम्भात)