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________________ जान्युआरी- २०१९ सोल सहस शीष है, नेत्र बतीस हजार; चोखट सहस चरण है, पंडित करो विचार. [चंद्र] सुख सरोवर बहोत जल, कमल अनंत अपार; उन जल कमल न निपजे, पंडित करो विचार. [?] कागदसे कटका करे, मन सुं झोला खाय; राजा पूछे राणीने, यो किस्यो जनावर जाय. [?] बाप बेटो एक नाम, बेटो फिरे गामो गाम; बेटे जाइ बेटी, जीकी धूल लपेटी, बेटी जायो बाप, जीको पून्य हे न पाप [आंबो] नीचे सरवर उपर तता, बिचमें लंबक लंबा है; चलो चलो नर देखन जावां, उसका नामपे पेला है... [होको] अंग गरम मूख चरचरा, फूल सुगंधि वास; बलिहारी उस रुखने, समूदा बीच रही वास. [लविंग] च्यार शीस बीच खोपरी, सामवरण शीरकोर; मंगो मोल मंजूसमें, श्रोता करो विचार. [लविंग] तंबा सुत रिपू तास गुरु, ता भखको अश्वार; ता जननी पत आभरण मख, तस सुतसा(सों?) जूहार. [रामने जुहार] अजा सहेली तास रीपू, ता जननी भरतार; ता का सूत का मीत्रकू, समरो वारंवार. [श्रीकृष्ण] नेन अढार खट चरण, तीन भुज जीव चार; रसना ताके नव भइ, सुरता करो विचार. [?] करको बाजो कर सूणे, सरवण सुणे नहि तांह; अरथ करो छ मास लग, कहे अकबर साह. [नाडीनो धबकार] समस्यामय स्तवन - कवण पातालि निवसंति नरनइं सदा, स्यउं घणउं भाखियइ जिणवरिइं परखदा; भुजगगति किणि हुइ सयल जगि सुखकरो, कवण परचक्रना भीम जण भय हरो. १
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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