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________________ x अनुसन्धान-७६ बांदोडइ रे गोहा बंदिरनइ पासे छइ, तिहां देउल रे दोइ कराव्यां मनि रुचइ, एकइ नेमिजी रे बीजइ करहडो पास जी, सवि भवि जनना रे वंछित परइ खास जी. पास श्रीनवपल्लव केरुं गंधार बंदिरमा कर्यु, भेजा गामइं एक देउल ऋषभदेवइं परवर्यु, सात भुवननई भूषण सरिखा सात प्रासाद कारावीया, जीर्ण-उद्धार तो बहुत ठामइ वित्त परिघल वावीया. ९ दखिण पासई रे चोमुख एक राणकपुरइं, भराव्युं रे बिब एक हर्षइं करी, इम बहुविध रे बिंब भराव्यां आदरई, वली साहमइ रे वित्त संख्या कहो कुण करइ. त्रूटक : भरइ पुण्य-भंडार इति परि सात खेत्र समारता, अठाइ प्रमुख अनेक पर्वइ पुण्य-प्रकृति आराधता, आबू अनई शेजेज गौडी प्रमुख तीरथ यातरा, श्रीसंघपतिनां बिरुद धरीनइं कीधी अति वड यातरा. ॥ सर्व गाथा - ५० ॥ ॥ ढाल - ६ ॥ जावड समरी उद्धार - ए देशी ॥ हवइ चिंतइ बेहु भाई, करीइ प्रतिष्ठ सजा(वा?)ई, लिखी कंकोतरी सघलइ, साधर्मिक जन मेलइ. १ गुज्जर-धर वली बंदिर, अनेक महाजन परिकर, खंभनयरइं मनि भावइ, वली गछराज तेडावइ. २ श्रीहीरगुरुना पट्टोधर, श्रीविजयसेनसूरीसर, शतारथी सुखकंद, गीतारथ बहु-वंद. ३ संवत सोल चिमालीसइ, (१६४४) वर्षे शुभकर दिवसइ, जेठ सुदि बारसि गुरुयोगइ, सवि शुभ लगननई जोगइ. ४
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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