SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जान्युआरी- २०१९ बिंब प्रतिष्ठा करावी, ............. ..............., कंचनमुद्रा लहणी. ५ पडह अमारिना घोषइ, साहमी-जन सवि पोषइ, बहु परि इम जस लीधो, तीरथ ओछव कीधो. ६ रयण-मणि-बिंब थापइ, देहरासरि दुख कापइ, इम चिहु खंडि थया चावा, बिहु भाई सम ठावा. ७ अनुक्रमइ साही जहांगीर, भेली हियडानुं हीर, परतकालपति देशइं, मोकलई बेहु भाई सुविशेसइं. ८ तिहां पणि धर्मनी वात, कीधो बहु अवदात, जीव-अमारिना वाजा, वजडावइ घणा ताजा. ९ परतकालपति हरख्यो, कहइ तुम सम कोइ न निरख्यो, आमिष त्याग कराव्या, धर्मना मार्ग बताव्या. १० आज लगई तस देशइ, आण तणा छइ गुण वेशइ, बहुमानइं इहां आवइ, खंभनयरनइं सोहावइ. ११ करी सिद्धाचल यात्र, पोष्या बहुविध पात्र, उपाश्रय पोषधशाला, विरचावइ दानशाला. १२ उद्धरइ दीननई दुखीआ, सकतिइं कीधा ते सुखीआ, निज धन ठाम ठामइ आपइ, तीरथ साहायनइं थापइ. १३ श्रीसेजेज गिरनार, तिम वली धरणविहार, दीव बंदिरनइं गि(गं)धार, धनना विरचइ विहार. १४ ज्ञानना भ(न)व भंडार, समराव्या वली सार, इम बहु कीधी ए करणी, कीर्ति न जावइ ए तरणी. १५ ॥ सर्व गाथा - ६५॥ संप्रति मँहरमां अछइ, श्रीथंभणजी पास, ऋषभदेवनइं श्रीशांतिजिन, बेठा छइ बेहु पासि. १ सतर पंचासी (१७८५) वरिसमां, आणी अधिक प्रमोद, जीवीबाईइ जुगतिसूं, करी पूजा विविय विनोद. २
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy