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जान्युआरी- २०१९
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बीजु देउल रे वीर जिणेसरनुं कडं, तेत्रीस (३३) अंगुल रे तास प्रमाणइं तनुं धर्यु, मूरति ऋषभनी रे सातत्रीस (३७) अंगुल माननी, श्रीशांतिनी रे मूरति मुनिगुण (२७) अंगुल माननी.
त्रूटक
एह मूरति भूमिघरमां बनावी बहु हेजसूं, श्रीपास थंन(भ)ण भुवन-मंडण बिंब सूरिज तेजसूं, पंचवीस किरिया-गमन हेतइं मनु पंचवीस सोपान छइ, भविक जनना पाप सघलां प्रभो दर्शनथी गछइ ६ प्रभो पासथी रे मंगल मूर्ति पंचवीस छई, मनु भावनी(ना) रे पंच महाव्रतनी रुचई, सात भुवनना रे सातइ भयनइं टालवा, मनु थाप्या रे विघनहरा गणपति हवा.
त्रूटक:
हवी सात देवकुलिका मनु विमान सात ऋषि तणां, प्र[भु] सेवानई काजि आव्यां दिउ लोकोत्तर सुख घणां, yहरामा भाव सघला इम बनाव्या बहु पर्रि, सागवट्टा पाडामांहिं संप्रति महिमा विस्तरइ. ७ देरे भाणोजीनइं आपीया, नारंगो रे पासजी पासे थापीआ, भला भांतिइ रे कहलबंध कयुं भूहरु, भविजननां रे देखीनइ चितडां ठर्या,
बेटक
कर्यु निज घर- देहरास[र] बिंब तिहां मणि रयणनां, चोवीसवट्टा पंच तीरथ प्रमुख पीतल कणयनां, शांतिनाथ जिणंद थाप्या घर तणइं देहरासरई, नित नवा मनोरथ करइ मनमां वित्त शुभ चित्तइं वावरइ. ८