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________________ ३२ अनुसन्धान-७६ ॥ ढाल | राग देशाख । जे भविअण जी पास जिणेसर मनि धरइ, ते भविअण जी दुत्तर भव-सायर तरइ; पास-नाम जी भविअण जे हियडइ धरइ, अय महाभय जी सातइ ते दूर करइ. ८ भय पिहिलु जी रोग तणुअ ज जाणीइ, भय बीजु जी पाणी तणुअ वखाणीइ; भय त्रीजु जी आगिनउ चउथु सीही तणु, भय पंचमु जी हाथी केरु ते गणु. ९ भय छठउ जी दुट्ठ ज चोर तणु भणु, भय सातमु जी विरी तणु अजहुँ घुटुं; ओ महाभय जी सातइ उपद्रव नवि करइ, जे भविअण जी पास-नाम नति मनि धरइ. १० पास-नामइं जी संकट विकट सवे टलइ, पास-नामई जी मन-वंछित संपति मिलइ; पास-नामई जी दुरगतिना दुख सवि टलइ, पास-नामई जी असुभ करम सघलां गिलई. ११ पास-नामइं जी ज(जा)किणि साकिणि नवि नडइ, पास-नामइं जी... (ला.द. विद्यामन्दिर - ६१३९) ११. श्रीब्रह्म-रचित स्तम्भनक-पार्श्वनाथ-स्तवन सकल-सुंदर जिन-गुण सोहइ अ, भविक लोक तणां मन मोहइ अ; प्रभु दया-रस-पूरण दीसइ ओ, निरखतां मन-पंकज विकसइ ओ. १ पहुवि पूरव-दिसि अति गहिगहि, जणणि-वामा-उदरि उदय लहि; गगन-मंडलि कुलि आससेणनइ, चडत-तेजि सोहावइ लोकनइ. २
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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