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________________ जान्युआरी- २०१९ २१ ४. क्षेमकुशल-कृत थम्भण-पासनाथ-स्तवन ॥ राग - देशाक, ढाल - दुहा ॥ श्री जिन-मुख-कज-वासिनी, कमलासनि सरसति: तुं मुझ मतिनुं मय करे, हु तुमय अकंति. १ ससि-वस(द)णी मिग-लोयणी, [...] सुअदेवि; समरी पास-महिमा थुणु, मुझ वदनांबुज-सेवि. २ सारददेवि पासउ लई, थुणस्युं स्वामी पास; धरणराय पउमावई, वईरुट्ट सेवई जास. ३ ॥ ढाल - तु चडीउ घणमाण गजे, राग भूपाल । अमरपुरीनई जीपती अ, नयरी वाणारसी सार तु; अश्वसेन राजा राजीउ अ, राज्य करइ उदार तु. ४ तस अंतःपुर-मंडणी मे, राणी वामादेवि तु; तस कुखि प्रभु अवतरा ओ, जस करई सुर-नर सेव तु. ५ बालपणि दया-सागरु मे, जेहनी निर्मल बुद्धि तु; जलणि (ज)लंतो नाग [क]ढीउ ओ, दीधी नाग-परि(ति) रिद्धि तु. ६ इयुं जिनसेरा(वा) नमि-विनमी, पी(पा)यो विद्याधर-राज तु; पास-दरिसण नवकार, प्रसीतुसरो(पसाइ, सारो?) विसहर-काज तु. ७ प्रभु-प[द]-कमलि भसल परि, सेव करई सुर-राय तु; जिन-सासन-सांनिद्धि करई, सारई सघलां काज तु. ८ ॥ ढाल - पास जक्खि सेवा करई ॥ संकट विकट समइ [...] नामि तु; सा(पा)स जिणिंद गुण गायता, नितु हुई मंगल-धाम तु. १० भवणाधिप वितर वली य, जोईसनइ सुर-वृंद तु; जे दुष्ट देव पराभवइ ओ, तुम्ह नामि थाइ मंद तु. ११ भूत प्रेत देवी देवला अ, गोत्रदेवी खेत्रपाल तुं, साइणि-भय टालवा मे, तुम्ह नाम-मंत्र रखवाल तु. १२
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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