SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०८ अनुसन्धान-७६ १४६ १४७ सति कहई प्रभु माहरइ रतिसमइ छई आज अहिनाणी साची दिउ पूठ रहई जिम लाज. कुमर विमासइ चित्तमइ लोक बोक कहिवाई नामांकित निज मुद्रडी स्त्रीनई दीधी सांइ. सीख करी चाल्यो कुमर कटकइ भेलो थाई मित्र कहई संतोष सुं भलो कोउं तई बाइ. कटक सहू तिहांथी वहई चाल्यो चढी प्रभात ओकमनां थई सांभलो जे हूई वांसई वात. १४८ १४९ ढाल - ५ : प्रहसमइ सुधा साधू नमो निति - देसी (राग - वेलाउलि) । ईणि अवसर बहू पुण्य संपूरउ देवतणो को जीव रे आवी अंजना कुखि ऊपनो भोगसमई अतीव रे. १५० स्वात तणो जल जाणे जाम्यो सुंगती पेटि वंश रे अथवा मान सरोवरहूंती कूखई उपनो हंस रे. मास बेऊ लगी गर्भ धर्याथी चडती कांति देखावई रे । त्रीजई मासई दोहला पूंठिइ नारी रूप फिरावई रे. १५२ तिहांथी अनुक्रम अनुक्रम प्रगटई गर्भतणां अहिनाण रे पंडूर गाल नयण हेजालां सघलऊं आ संधाण रे. १५३ नाभि उदरपट सेती ढांकई उंचई सादी न बोलई रे पुरुष तणो परसंग लहीनई साम्ही दृष्टि न खोलई रे. १५४ खाधो पीधो अंग न लागइ क्षण बईसई क्षण सोअई रे। क्षणमई उठण परहउं नाखइं पेटइ साम्हो जोय रे. १५५ जिम जिम गर्भ वधई अति मोटो तिम तिम अधिको रंग रे भूइ थकी कर देई ऊठइ चलती मोडइ अंग रे. १५६ अहवइ अंग तणे आचरणे गर्भ हूउं परगट्ट रे । छांना न रहइ कोइक कमाया वट्ट अनइ अँट्ट रे. १५७ ईतरई ओक राणीरी दासी आविनई बेइठी पासि रे अंग तणां आकार लहीनई हीई अक विमासइ रे. १५८ ' नट र
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy