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जान्युआरी- २०१९
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तउ वलतुं कामिणि कहई नयणांसु हई चंदानई जोई मन तुम्हारई जे अछई ते करज्यो हे नही पालई कोई... १३२ प्री० कुंण चंदो कुंण कामिनी आपईण पई हे ठामिई रंग रोल। कवि चतुराई प्रीछयो सांभलतां हे आवइ कल्लोल... १३३ प्री० ढाल भणी चोथी ईहां रंगि मिलीय हे नारी भरतार जे नर सुणस्यई भावस्युं नहि पामइ हे ते विरह लगार...
दूहा विरह मिटउ कुमरी तणो शीतल थयो शरीर रोम रोम सुख उपनो विकस्यो अंतर हीर. वर-तुरणी संतोषस्युं मिलीउ गाढउ मन्न माहोमाहि रंग स्युं बोलई प्रीति वचन्न. कुमर चतुर दाहउ घणुं खेलई रंगउछाह दुख बारां वरसां तणो वीसरियो क्षण माहि. हसतां रमतां हरखस्युं प्रह विकसी सुप्रकास ऊठो कुमर उतावलो मेल्ही रंग विलास. पवनकुमरनिं चालतां रमणी झालई हाथ कुमर छोडावई ताणिनई तो वली घालई बाथ. हे सुंदरि तुं छोडि द्यई बोलई पवनकुमार कटक सहू आगहि खड्यो थोभणरी नही वार. प्रीतम तुझ छोडुं नही नयणां दीठों नीठ नेह न जाणइ वल्लहा लागो रंग मजीठ. सुकुभीणी संतोष करि रहियां न सरई आज रनमई ऊभा लसकरी कोडि अधूरां काज. क्षणि खोलई बईसई सूई क्षण मुख चुंबन देई चालणरां पगला भरई तिम तिम नयण भरेई. आप कुमर जल आंखिरउ लूहई पल्लव देह हरणांखी थई हरखसु सीख सउज्जम थेई. सिधावउजी सिधि करो पूरो थांकी कोड मन सुख तब पावसई जव तुझ मिलस्यइ जोड.
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