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________________ अनुसन्धान-७६ खेत्र खेडइ मंगल खडइ रे वाचई भृगु वेद बुध देखाडई आरसी ने शिव टालइ छलनइ छेद रे... १२ राह रहई खग फालिनई रे केत पखालई थाल पनोती पाणी गलई वली बारि करई रखवाल रे... लाख चोरासी जीवना रे घडतो घट विन्यान ते विधि तेना घरआंगणइ घरटी ले पीसइ धांन रे... १४ प्राणीनई संतापतो रे हुतो अथिर आधार ते यमउ रावणनई घरइ भइसो थइ आणनी(आणइ नीर?) रे... १५ नवदुरगा शुभ आरती रे ऊतारई ओक मन्न पवन बुहारइं आगणु रे रवि करई रसोई अन्न रे... १६ पोल ग्रही ऊभा रहई रे अक मना निसदीस सुधी खजमती सेवना सुर कोडि करई तेत्रीस रे... १७ ब्रह्मा प्रोहित थापीयो रे गणपति खर खेत्रपाल अगनि पखालई लूगडां रे इंद्र आणई फूल रसाल रे... १८ लाख ओक भाई भला रे बिभीषण कुंभकर्ण लाख सवा पुत्र सोभता रे इंद्रजित प्रमुख रतन्न रे... सहस बत्रीसानई शिरई रे रूपई अपच्छर रंभ। पट्टराणी मंदोदरी रे देवांनई छई दुरलंभ रे... दस मुख दीसई दीपता रे वीस भुजा परधान त्रीस सहस वर्ष आऊ रे अकवीस धणु तणु मान रे... २१ कोडि नवाणुंडं लगई रे राख्खसरा कुलरंग संजीवनी विद्या मुखे रणमाहि अति अणभंग रे... २२ भरत-त्रिखंड तणो धणी रे पदवी प्रतिवासुदेव नामइं त्रैलोक्यकंटकी सुर डरता सारइ सेव रे... समुद्र विचालइ सोभतउ रे राख्खसदीप रसाल जलमांहि जोअण सातसई आलगो अति दरि विशाल रे... २४ पहोलपणइ तेतउ अछइ रे जेतइ जलमांहि दूरि त्रिकूट पर्वत सुंदरू रे पाखलि जल खाई पूरे रे... २५
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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