SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्टेम्बर २०१८ संसत्तमचित्तेहिं अ लोगाऽऽगमगरहि पहिअ जाईणि । सुक्कुल्लसचित्तेहिं अकरमत्तं मक्खियमकप्पं ॥७९॥ संसत्त० ॥ संसक्त - एकेंद्रियादिक जीवे करी आहार संसक्त - मिश्र लिप्यउ हुइ, तथा अचित्तसंसक्त लोकमाहि अनई आगम-सिद्धांतमाहि निंद्य मद्यमांसादिक अचित्त वस्तु, तेह करी जे हस्त भाजनादिक खरडिउं हुइ, ते महात्माहुई अकलपतरं जाणिवउं । तथा सूका, नीला, सरस अनइ नीरस जे सचित्त वस्तु, तेह करी जे भाजनादि खरडिउ हुइ ते प्रक्षित कहीइ । तीणइ खरडिइ भाजनि अथवा हस्ति जे आहार विहरीइ ते महात्मानइ न कल्पइं । एतलइ बीजउ प्रक्षित दोष कहिउ ॥७९॥ हिव त्रीजउ निक्षिप्तदोष वखाणइ छइ - पुढवि - दग - अगणि-पवणे परित्तणंते वणे तसेसुं च । निक्खित्तमचित्तं पि हु अनंतर १-परंपर२- मगिज्झं ॥८०॥ हिव चउथउ पिहितदोष वखाणइ छइ ७१ पुढवि० ॥ पृथ्वीकाय१ अपकाय२ तेउकाय३ वाउकाय४ प्रत्येकवनस्पतिकाय५ अनइ अनंतकाय६ अनइ बेइंद्रियादिक त्रसकाय७ । एह ऊपरि जे भाजन आहार मूंकि हुइ ते अने (नं) तरनिक्षिप्त कहीइ । तथा अथवा पृथ्वीकायादिक ऊपर अनेरी वस्तु हुईं, तेह ऊपरि देवा योग्य वस्तु मूकी हुइइ, ते परंपरनिक्षिप्त कहीइ । इम जे आहार पृथ्वीकायादिक ऊपरि अ ( नं) तर अथवा परंपर मूंकिउ हुइ ते आहार महात्माहुई अग्राह्य अकल्पतर जाणिवउ । एतलई त्रीजउ निक्षिप्त कहिउ ॥८०॥ -- सचित्ताचित्तपिहिए चउभंगो तत्थ दुट्ठमाइतिगं । गुरु - लहु चउभंगिल्ले चरिमे दुचरमगा सुद्धा ॥८१॥ I सचित्त० || जे आहार अथवा भाजनादिक सचित्ते करी, अचित्ते करी ढांकिउ हुइ, ते पिहित कहीइ । हिव ईहा च्यारि भांगा ऊपजई । ते किम् ? चित्ते करी अचित्त वस्तु ढांकी हुइ १ । अथवा अचित्ते करी सचित्त वस्तु ढांकी हुइ २ । अथवा सचित्त करी सचित्त वस्तु ढांकी हुइ ३ । अथवा अचित्ते करी अचित्त वस्तु ढांकी हुइ ४ । इम च्यारि भांगा जाणिवा । हिव ए चिहुं भांगामाहि
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy