SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्टेम्बर - २०१८ . विहरवा ग्यिउ । फिरतउ फिरतउ एक नटावानइ घरि काई उत्सव हुइ छइ । तेहनइ घरि गिउ । तेहनी स्त्रीइ उत्सव भणी ते महात्माहुई मोदक दीधउ। हिव ए मोदक गुरुनइ काजि हुसिई इम चीतवीनइं ते महात्मा पाछउ वलिउ । रूप पालटी काणायूँ रूप करीनइ काजि हुसिई इम चीतवीनइं ते महात्मा पाछउ वलिउ । रूप पालटी काणानूं रूप करीनइ वली ते नटावानई घरि आविउ । तीणइं स्त्रीइं विभ्रम पडिउं जाणिउ । ए बीजउ महात्मा ते भणी तेहेइहुई एक मोदक दीधउ । ए उपाध्यायनइ काजि हुसिइं इम चीतवीनइ नवउं कूबडानूं रूप करीनइ वली तेहनइ घरि विहरवा गिउ । वली तेहनइ घरि आवी चउथउ मोदक लीधउ । तिवारई गवाक्षि बइठइ नटावइ ते महात्मा नवनवां रूप करतउ देखी अपार विस्मइ मनमाहि चीतवा लांगउ । जउ ए महात्मा नटावउ थाइ तउ अम्हारइ एहवी अद्भुत कलानउ धणी घणइ काजि आवइ । इम चीतवीनइ आंपणी स्त्रीहुई आपणी बेटीनई इम कहिउं, ए महात्माहुइं अपार रूप करवानी कला छइ । तेह भणी जिवारई ए महात्मा आपणइ घरि आविइ तिवारइ घणी भगति करिज्यो । आपणी बेटी करी लोभ(भा)विज्यो । आहार हावभाव शृंगार करी तिम आवर्जिज्यो। जिम आपणाई वसि थाइं । इम करतां ते महात्मा बीजइ दिहाडे तेहनइ घरि आविउं । तेह भणी भक्ति कीधी । इम तेहनी भक्ति जाणीनइं ते महात्मा सदैव ते नटावानइ घरि आवइं । घर सघलूंइं अपार आदर करइ । हासा कउतिगा करइं। इम महात्मा ते स्त्रीनी हावभाव शृंगारे करी इम कांइ वाहिउ जिम चारित्र छांडीनई ते नटावानइ घरि ते नटावीनी बेटी परणी । नटावउ अपार मनमाहि हर्षिउ। वली तीणई नटावइं आपणा कुटुंब सघलाइनइ कहिउं, ए महात्मा नवउ आविउ छइ । तेह भणी एहनी दृष्टिइं मद्य मांसादिक केतलाएक दिहाडा टालिवउ । एकवार ते महात्मा आपणाउ नटावानउ समुदाय सघलउइ लेईनइ एकइ नगरि गिउं। आपणउं कुटुंब एकई स्थानकि मूंकी राय प्रतिइं मिलवा गिउ । तिवारइ तेहनी स्त्रीए तिवरूं अवसर देखी मद्यपान कीधुं । तिवारइ ते महात्मा नटावाहुइं राय मिलवानउ अवसर न हूउ । तेह भणी ते नटावउ पाछउ वलिउ आपणइ स्थानकि आविउ । इसिइ ते स्त्री मद्यपानिइ करी विसंस्ठुल थईनइ पडी दीठी । ते महात्माना मनमाहि पश्चात्ताप थिउ । वैराग्य ऊपनउं। पाछउ वलिउ । तिवारइं तेहे स्त्रीए पाछउ वलतउ देखी पगे लागी मनाविउ । इम प्रार्थना कीधी, 'स्वामी ! अम्हहुई
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy