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अनुसन्धान- ७५ (२)
मागि ।' तिस्यि चेलइ वली कहिउं, 'तइ दिवरासइ कांई नही' । तीणइ व्यवहारीइ कहिउं, ‘जि कांई मागिसि ते हु सर्व देसु' । तिवारई 'आगई छ पुरुष स्त्रीना वशवर्त्तिया हुया तेह सरीखुं जई तूं न हुइ तुं कन्हलि मांगीइं' । तिवारई ते सभाने लोके कहिउ, 'केहा ते छ पुरुष ?' । तिवारई चेलइ ते छहं पुरुषनी कथा कही -
यथा -
'श्वेतांगुलि' - कोड्डावी तीर्थस्नानाश्चरे किड्ङ्करः । हदनो" गृध्ररंखीवः षडेते स्त्रीवशा नराः ॥ १ ॥
पछइ कथा प्रसिद्ध भणी कांई जूई वखाणी नथी । ए छ कथा जिवारइ चेलै कही, तिवारइं ते सभाने लोके कहिउं, 'तेहे छए एकलुं ए नीपायुं छइ इस्यूं जाणिजे' । तिवारइं तीणइ विवहारीइ चेलानइ कहिउं, 'ए लोक जे काई बोलइ ते बोलवाइ जि दिइ तांहरई जि काई जोईइ ते मू कन्हलि मागि ।' तिवारई चेलइ कहिउं, 'तउ गुल घी सहित सेवई दिइ ।' तिवारइं व्यवहारीइ कहिउं, 'चालि, घरि जईइ ।' तिवारइं चेलइ कहिउं, 'आगइ हुं ताहरइ घरि गयउ हूंत । पुण ताहरी स्त्री कपिला । तीणई कांई दीधुं नही । तिवारइ पूठइ मइ मनमांहि चींतविडं, जु आज ताहरइ जि घरि सेव विहरावसिइ तब बार कीजसई । तेह भणी आंपणा घरनउ मेल जोइ मूहुई तेडिजे ।' तिवारइ तीणइ विवहारीयइ कहिउ, 'तूं घरिनी वात इस्यूं करिसि । तूहुइ सेव घणी हुं विहराविसु । तूं मूं साथि आवि । ' इम कही ते चेलउ साथि टेडी व्यवहारीओ घरि गिओ । चेलानई कहिउं, 'तू लगारेक पडखीनइ घरि आविजे । जेतलई हूं मेल करउं ।' तिवार पूठिइं तीणइ व्यवहारी घरि जई काई काजनूं मिस करी आपणी स्त्री ऊपरिली भुइ चडावीना(न)इ नीसरणी परही कीधी । तिवार पूठि चेलउ घरि तेडी सेवगुल-घी झाझा विहराव्यां । चेलउ सेव-गुल-घी विहरी पोसालिई जई ते महात्मा हुई आपइं । ते महात्मा ईर्ष्या । इम जे महात्मा अनेरा गृहस्थहुई अहंकारि चडावी अहंकारिइं आहार मागई ते मानपिंड कही ॥ इति मानपिंड दृष्टांतः ॥
किम् ? |
हिव मायापिंड ऊपरि आषाढभूति महात्मानउ दृष्टांत जाणिवउ । ते
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राजगृह नगरि । सिंहरथ राजा राज्य करइ । एकवार तिहां श्रीधर्मरुचि आचार्य पावधारिया । तेहनउ शिष्य आषाढभूति इसि नामिदं महात्मा नगरमाहि
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