SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्टेम्बर असूध विरूड बिहु जणहुइ लेणहारनइ अनइ देणहारहुई अवगुणकारिउ जाणिवउ। रोगियानइ दृष्टांतिइ - जिम रोगियाहूइ से जि अन्न किवार गुण करइ, अनइ अवगुण करइ तिम महात्माहुइ ते आधाकर्म निर्वाह छतइ अवगुण करई, अनइ अनिर्वाह छतइ दुर्भिक्ष - ग्लानादिक अवसरि छतइ मोटइ कारणि तेहजि आहार गुणकारी प्रजाणिवउ ॥२१॥ २०१८ ४३ - भणिअं च पंचमंगे, सुपत्त-सुद्धन्नदाण- - चउभंगो I पढमो सुद्धो बीए, भइणा सेसा अणिट्ठफला ॥२२॥ भमिअं० || जेह भणी पंचमांग श्रीभगवइ अंगमाहि आठमइ सइ इसिउं छइ सुपात्रनइ सूधउ दान - ईहई च्यारि भांगो हुइ । ते किम् ? - सुपात्र अनइ सूधउ दान १ । तथा सुपात्र अनइ असूधउं दान २ । कुपात्र अनई सूधउ दान ३ | कुपात्र नइ कुसूधउ दान ए च्यारि भांगा हुई । एहमाहि पहिलउ भांगउ सूधउ, अनइ बीजइ भांगइ भजना विकल्प ४ जाणिव । किवार कल्पइ, जेह भणी तिहां पाप थोडउं अनइ लाभ घणउ । बीजा बिन्हइ भांगा अणिट्ठफला कहीइं । विरूआ जाणिवा । ते महात्माहुइं निषेध्या छइ ॥२२॥ I कहइ छइ आधाकर्म पूछ्या पाखइ जाणीइ नही । तेह भणी महात्माइ पूछिइवरं । हिव ते आधाकर्म पूछिवानी परि कहे छ देसाणुचिअं, बहुदव्व,-मप्पकुल, - मायरो अ तो पुच्छे । कस्स कए केण कयं, लक्खिज्जइ बज्झलिंगेहिं ॥२३॥ देसा० ॥ जे वस्तु देश हुई अनुचित देसमाहि थोडउं वापरइ १ । अथवा घणूं रांधिउं दीसइ २ । अथवा कुण जिमणहार माणस थोडा दीसई ३ | अने विहरवान आदर घणउ ४ दीसइ । तेह भणी महात्माइ इम पूछिवउं एतलउ कहीनइ काजि नीपनुं छइ ? अथवा सहिजिई राधुउ छ ? इम पूछिवउं; तथा किवारइ देवा भणी व्यगतूं न कहाई । तउ महात्माइ बाह्य लिंगे करी शरीरमुखचेष्टादिक अहिनाणे करी आपहिणी महात्मानं विचारीनइ सुझतुं आणी आहार लेव | असूझत हुइ तउ टालिवउ ||२३|| किवारइ महात्मा आधाकर्मइ छलीइ, तउ तेहुइं केतलुं दोष? । ते वात -
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy