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सप्टेम्बर
कार्यि रमइ,
बोलावी दिइ थाउ जाणइं युद्धोपाउ ||४७||
मं(म) दोदाहरणानि - जातौ मेतार्य पूर्वभव १, कुले मरीचि : २, रूपे सनत्कुमारः ३, बले रावणः ४, श्रुते सिंहरूपधारी श्रीस्थूलभद्र ५, तपसि स्थूलभद्रस्य ai (सिंहगुहा मुनि ६, लाभे सुभूम चक्रवर्त्ति ७, ऐश्वर्ये दशार्णभद्र राजा ८ ॥४८॥
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नलु परघरि सूयारु, हरिश्चंद्र चंडाल - घरि पाणी वहइ, परशुराम मायतणुं शिर छेद करइ, बावन्न वीर पयठाण तणा राज्यकारणि आवज्या, माघ जेवडउ विद्वांस अणाथियग सूडी मुउ, गांगेय जस प्राण गिया, नागार्जुन रस पूंठि मूउ, सगरचक्रवर्त्ति साठि सहस्र बेटा दुःख देखइ, वासुदेव द्वारिका बलती देखइं, तस्मात् परोपकार करिव ॥४९॥
दु गरूड, गरुई पोलि, निबिड कपाल (ट), लोहमय भोगल, विजहरीतणी पद्धति, यंत्रतणी श्रेणि, ढीकलीतणी परंपरा, खाई तणउ दुर्ग, बल तणउ दुर्गा, परप्रवेश नहीं, हस्तीतणउ ढोउ नहीं, नींसरणी ढोउ नहीं, भेदसंभावना नहीं, जिसउ वज्रमय घडिउ, विश्वकर्मा निर्मापित, किं बहुना ? देव रहई अगम्यः ॥५०॥
अथ राजा: माहान्यायपालकः, धर्मनउ पात्र, मकरध्वजावतार, श्रीदेवगुरुपरमभक्तिकः, विक्रमनिवासु, सप्तव्यसननिषेधनतत्परु, पुरुषप्रमाण सिंहासन, कटीप्रमाण पादपीठ, आजानबद्ध उपविष्ट, देवतावसरु, मंत्रावसरु, तिलकावसरु, आरूतीवसरु, सर्वत्र परे उपविष्ट युवराजकुमार, राजेश्वर, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, सामंत, लघुसामंत, अमात्य, महामात्य, सभ (भ्य), महासभ्य, प्रधान प्रमाणी(णि)क, सेनापति, मंत्रि, महामंत्रि, राणा, श्रीगरण, वयगरणा, रायगरणा, देवगरणा, नायक, दंडनायक, आंगलेखक, भांडागारिक, संघिविग्रही, साहणी, पट्टसाहणी, अग्रे दंडाधिपति, प्रतीहार, अंगरक्षक, कडू, वहकराज, द्वारलेखक, कथगर, कविवर, काठिया, मसूरिया, दीवटीया, उपाध्याय, बयकार, आलवणिकार, वंशकार, आउजी, पखाउजी । पाश्चात्यपक्षे तार्किक, ज्योतिषी, वैद्य, महावैद्य, गजवैद्य, अश्ववैद्य, मांत्रिकादि, पंडित, महापंडित ॥५१॥
पुनः राजवर्णनं - निशितकरवालधाराप्रहार, विदलितारातिकुंभिकुंभोच्छलितमुक्ताफलसुवलितविश्वंभराभोग, वसुंधरा (रो) द्धारवराहावतार, विजयलक्ष्मीविवाहस्वयंवरा(र)मंडपु, संग्रामकरणरसिक, दूरपक्षविक्षेपदक्ष, रूपरेखामकर