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________________ २८० अनुसन्धान-७५(२) ॥अथ चांणकको अंग ॥ कहा करही उपदेश अग्यांनी जीवको, भयो जनमकी झोल भजै नहीं पीवको मुष्ट भली बाजिंद दुहाई रांमकी, अंधेको आरसी दई कीही कांमकी ॥५८॥ कहा जुग जुगकी जूठत हांसू उ देत है, मनसूं आवत रांम विषै सुण हेत है नख शिख कारे जैन नेणउ जोय रे, काग ही कहा पुकार चुगावै कोय रे ॥५९।। या है मेरी शीख मांने क्यों न कीजिये, राम नाम के मोज व्रथा कहां दीजिये अमृत फल बाजिंद चैनही मूढकों, कूकर कूर सभाव कहै गहै हाडकों ॥६०॥ परो मोधत पई सांजु तो ही या जनकों, देखो सोच विचार रहीको मनको बाजिंद निरमल वस्तू वृथा कहां खोईये, कौवा होय न श्वेत दूध सुं धोईये ॥६॥ कहा सुणावत साध कथा उं रामकी, नाथ गहै को साथ चाह धंन धामकी सूध न होये वीर सही रत अंग रे, कूकर को पखारे [...] गंग रे ॥६२॥ जो कोई सुरता होय ताही कछु बोलीयै, गाहग विना बाजिंद वसत क्यों खोलीये जाणै सकल जिहांन प्रकृति हे मूढकी, गृध न जाणै वास भणवा फूलकी ॥६३।। काहे को बाजिंद कहुं शीख दीजिये, काज सरै नहीं कोय कलेश क्यों कीजिये कान आंगरी मेल पुकारे दास रे, दूर न होये मूर विषैकी वास रे ॥६॥ पाहण कोरा रह्या वरसतै मेह रे, घाल धरी बाजिंद दुष्टता देह रे उसे अचकै आई मूढ गहै रोवई, सरप है दूध पीवाई वृथा नहीं खोवइ ॥६५।। अब क्युं आवै हाथ बहो है मूलको, पुत्र कलत्र धन धाम ध्यान हे धूलको कोट कहो कोई कोंन एक नहीं बूझही, धू धू अंधे धौं सरे न को सूझही ॥६६॥ पाहण पर गई रेख रेंन दिन धोईयै, छाला परवा हाथ मँड गहै रोईये जा को जिसो सभाव जायगे जीव सुं, निंबळ मीठो होय [नहि] सींचो गुड घीव सुं॥६७॥ ताकि ताकि वाहै तीर भया ते जनकों, वृथा गवावै बांण लग्यो को मनको फूटो वासण जैन नेंन नही जोवही, टका टांक को नीर वृथानूं खोवही ॥६८।। ॥ विसवासको अंग ॥ हिरदै न राखो वीर कलपना कोय रे, राई घटै न वधै रच्यो सो होय रे सपत द्वीप नव खंड जो धावहीं, लिख्यो किसमतकी कोर यो हि पुनि पावहीं ॥६९॥ जो कछू लिख्या लिलाट सो ही पर पावही, काहे को बाजिंद अंत कउ जावही कूप मांझ भर लेउ समंदकी तीर रे, ठांम प्रमाणे सही आय है नीर रे ॥७०।।
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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