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________________ सप्टेम्बर २०१८ अज्ञातकर्तृक उपाख्यानकानि १९ सं. - शी. उपाख्यान एटले उपाख्यायिका, उपकथा अर्थात् कथाने पूरक एवां पेटा उदाहरण. भाषामां प्रचलित 'उखाणां' शब्दनुं मूळ आ 'उपाख्यान' मां जडे. देशी भाषामां उखाणां एटले जलदी न बूझाय तेवी पहेली - प्रहेलिका- समस्या; अने ओठां. जैन आगम 'नायाधम्मकहाओ मां करोडो कथाओ होवानी वात छे. त्यां तेनो परिचय आपतां जणाव्युं छे के "दस धम्मकहाणं वग्गा । तत्थ एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई, एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयोवक्खाइयासयाई ।" अर्थात् एकेक धर्मकथामा ५०० आख्यायिकाओ, एकेक आख्यायिका - अन्तर्गत ५००-५०० उपाख्यायिकाओ, अने प्रत्येक उपाख्यायिकामां ५००-५०० आख्यायिकोपाख्यायिकाओ. 'आख्यायिका' एटले 'आख्यान' मुख्य कथा, एम अर्थ करीए तो, 'उपाख्यायिका' एटले 'उपाख्यान' पेटा कथा के उपकथा, एम अर्थ थई शके. तो आ 'उपाख्यानक'ने उपाख्यायिका गणाववानुं संगत न गणाय. - आ बधुं शुं होय अने केवुं - केवी रीते होय ते विषे मनमां प्रश्न रह्या करतो. आ 'उपाख्यानक'नी प्रति हाथमां आवी त्यारे एक समाधान जड्युं के 'उपाख्यानो' आमां छे ते प्रकारनी उपाख्यायिकाओ होई शके. अलबत्त, आ सम्भावनामात्र छे, विधान नथी. प्रस्तुत कृति कोई विद्वज्जने करेला काव्य - साहित्य - विनोदरूप कृति छे. आवुं संकलन अनेक सर्जकोने पोतानी रचनामां वैविध्य अने चमत्कृति आणवा माटे उपयोगी बने छे. आमां उपमा-रूपक - विनोक्ति - दृष्टान्त वगेरे विविध अलङ्कारोथी अलङ्कृत दृष्टान्तो आपवामां आव्यां छे. कृतिना बे विभाग छे. कुल ५४ लघु-विभागोमां वहेंचायेली आ कृतिमां प्रथम २१ विभाग संस्कृतमां छे, अने २२ थी ५४ सुधीना बधा विभाग मध्यकालीन गुजरातीमां छे. तेमां २१ मो विभाग तीर्थङ्करनां विशेषणोनो मात्र छे. १ थी २० विभागो 'उपाख्यानात्मक' छे, अने ते बधामां मुख्यत्वे उपमाओ तथा कहेवत प्रकारनां वाक्यो छे. गुर्जर भाषाना विभागोमां क्यांक विशेषणो छे, क्यांक उपमारूप के कहेवत जेवां वाक्यो छे, तो क्यांक कोई कोई विषयनुं रसप्रद वर्णन छे. समग्रपणे जोतां आमां 'उपाख्यानक' नी विभावना जळवाती नथी, अने सरवाळे एक वर्णनात्मक कृति बनीने रही जाय छे.
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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