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________________ सप्टेम्बर - २०१८ २६७ ११२ ११४ गयो वधाउ आगलइं वागा जंगी ढोल थाल भरी द्यई तेहनई मोती रयण अमोल. सामहीउ सबलो कर्यो परसारउ परगढ(१) सखर उतारा आपीआ मंदिर पास निकट्ट उठ(छ)व अंजनकेतु नृप मंडावई विस्तार गीत गान मंगल करइ वरतई जय जयकार माहिरा मंडप मांडिया चंदन थंभ विलास उपरि मुखमल चंदूआ हेठि दलीचा लाल... फूल पगर पधरावीआ धूपघटी सुभवास अगर कपूर ऊखेवीया महिकई परिमल वास. ११३ सखर नीपाई रसवती मीठाई बहमोल तीखां चरका सालणां राई वडारा घोल. नुतरीयां जांनी सहू जिमाडई भरपूर नवल वेहिणा गाईआ सहीरअरि मिली सनूर. ११५ ढाळ - ५ : सोहलारी, राग - खम्भाईती सोवन पाट मंडावीउ रे वरनइ नहवण करावई रे पंच मात मिलि कामिनि रे पीठीरा गीत गावई रे ११६ वरराजा तोरण चढई रे वधावई वर बालो रे गज मोतीडे भरी थालो रे... आंकणी० सत सहस लख पाकस्युं रे मर्दन द्यई सुविचारो गंधोदक कुंडी भरी रे अंग पखालई उदारो रे. ११७ अंग विलेपन आचरई रे मृगमद जबादिक पूरो रे । सूंधो सखरउ महमहई रे पसरइ परिमल पूरो रे. ११८ वागा पहिर्या सोभता रे भयरव सालू अटाणो रे आभरण पहिर्यां अति भलां रे देहितणई सुप्रमाणो रे. ११९ सोवन खूप पूरावीयो रे मस्तक मुगट सुरंगो रे । अश्व पूंठि चडि चालीयो रे वाजई वाजिंत्र चंगो रे. १२०
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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