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________________ सप्टेम्बर - २०१८ २५३ चउ घातिक कर्म निवारी केवली थयउ सुविचारी सयपंच कुमर प्रतिबोधइ तें पणि चउकर्म निरोधई..... ५८ । पामइ सब केवलनाणू ओ भावना अहिनाणू करई महिमा सुर नरराया तब वेस लियइ रिषिराया.... ५९ हरिगीत-रिषराय लेइ वेस बइठा भव्यनई८ प्रतिबोधवा उपदेस आषइ लोक साषई कर्ममल निज सोधवा अनुक्रमइ करीय विहार चारित्र पालि९ मुगतइ गया आषाढभूत चरित्र गावता मणुअ भव सफला किया..... ६० इणि परि भावन भावीजई तप करी दान लि दीजई० जिन सासनना उपगारा ओ मुनिवर थयउ उदारा..... संवत सोलह अठतीसइं दिन विजयदसमि सुजगीसइ कही कनकसोम सुविचारा सब श्रीसंघकउं सुखकारा..... ६२ इति श्री अषाढभूति धमाल समाप्तः.....छ... ॥ श्री ॥ * * * ७७. मुनिराया, ७८. भव्यजन, ७९. पाल व्रत, ८०. वलि दान ज दीजई, ८१. जिन सासनकउं सिणगार
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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