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अनुसन्धान-७५(२)
ढाल : राग सोरठी लेइ सजाइ सब चल्यउ भूप पासि रिष राज नाटक भरथ संगीत रस जुगति दिखावउ आज.....
अहो हु३ जुगति दिखावउं आज उपगरण अणावउ राज पंचसइ कुमर आणीजई४ आरीसे महल रचीजइ..... सब सजीय वेष सुरंगरेखई६५ राग युगति दिखाइयइ वीणा मृदंग उपंग अमृत ताले चंग वजाइयइ धों धोंकि धपमप सरगम धुनि ततत थै थै उच्चरइ६६ देसी दिखावइ सरस गावइ६७ पात्र नाचइ इणि परई...... ५२ आप भखचउ(भयउ)६८ रिषि राया आभरणे अंग वणाया चक्र-उतपति जिम खण्ड साधई९ तिम वेस दिखावइ अगाधइ....५३
हरिगीत
आयाध (आयुध?) विद्यालबधसाधक महल आरीसा रचे पंचसइ कुमरसरूप सुन्दर ताल मानइं ते नचे१ निज मुद्रिका इक धरणि नाखी तिणि विना सोभइ नहीं आभरण सवि मुनिराय उतारइ कारिची काया सही.....
॥ दूहा ॥ भाव अनित्य सवे सही वलि काया सविसेस.२ अनंत३ असुचि विचारतां सुच्चि नही लवलेस..... ५५ चर्म मंस सोणित पिलित अस्थि सुक्र मलमूत्र संति सलेषम कोथिली काया अतिहि अपूत. काया अपवित्र विचारी भावन भरथइ संचारी०६
चडती पदवी गुणठाणइं मुनि वरिया केवलनाणइ..... ५७ ६३. हिव, ६४. सझीजें, ६५. सुरेख संगई, , ६६. उच्चरें, ६७. गावें, ६८. भरत थयो, ६९. षट खंड साधई, ७०. अगाध, ७१. तान मान नबेरचइं, ७२. सुचिचित्र, ७३. अंतर, ७४. काया अति अपवित्र, ७५. सिंभ, ७६. भावना भरतेस संभारी,