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सप्टेम्बर - २०१८
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मूंकी चाल्यउ जाम काम विकार तजी री मदिरा तब ऊतरीय नारी निष्पट लजी री कंता क्रोध निवार इक अपराध खमउ री जाइ सही भरतार लागी चरण नमउ री..... करत वीनती नारि नयणे नीर झरइ री वहति नदी असराल पावस जिम उल्हरइ री५ अंचर छारि समारि(?) जाण दे मोन्य६ करउ री देख्यउ तुम्ह आचार हम चितथइ उतरी री..... ओक रसउ पिउ आउ अंगणि वात सुणउ री लालण विरह गमाउ" हम मने८ नेह घणउ री कीरी ऊपरि रोस कंता कहा करउ री मुगधांनइ५९ कुण दोस अंगणि पाव धरउ री...... ४६ लेइसु संजम आज ठगिनी वृथा ठग्यउ री साधिस आतम काज भोग थकी उभग्यउ री लोपी गुरुनी लाज गुरुथी विमुख थयउ री धन धर्मरुचि गुरुराज सुवचन तासु जयउ री..... ४७ हुं अपराधी घोर विषयाकूपि पर्यउ री तजि चिंतामणि सार काचमणि क्ववह्यउरी बाली बोलइ बोल कंता श्रवणि सुणउ रे कोप छारि गुणवंत हम मनि नेह घणउ रे..... हिव हम कवण अधार प्रीतम सार करउ रे६२ तउ वलतउ कहई साधु नारी वचन सुणउ रे सात दिवस धन मेलि संतोषिस घरणी री
मनवचक्रम करि धीर परिहरिस्युं तरुणी री..... ४९ ४३. धरेंरी, ४४. नरसु, ४५. आदेश, ४६. एकांते हित आण, ४७. जय जय, ४८. काम, ४९. राज, ५०. विपरीत, ५१. लिखीरी, ५२. अग्यान, ५३. विराम, ५४. सखी, ५५. ऊलरेंरी, ५६. मौन, ५७. निवार, ५८. तुम्ह, ५९. मुग्धानो, ६०. मन्दिर पाउ धरीरी, ६१. धर्मरुची अणगार, ६२. करोरी.