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अनुसन्धान-७५(२)
न रुचई सुगुरु वयण उपदेसा गुरुजी हम दीजइ आओसा तिणि कुलि सुरामंस नितु कीजइ ते वरजे हम कह्या करीजइ..... ३६ देखीसुं मद्यपान जब करती, परिहरि पालिसु आज्ञा निरती मुनि आओ नटुवाकइ मंदिरि हरिखति भइ भुवन-जयसुन्दरि......। मद्यमांसभख्खण जउ टालउ तउ हमि रहां वचन प्रतिपालउ देई बोल दुई परणी नारी भोगिक भोग रमई सुखकारी.....
राग - आसावरी कामकेलि रतिहास नादविनोद करई री प्रगट्यउ पुण्यप्रकार लखमी बहुत घरइं री गीतगान ध्रु निदान तान वितान धरई री खेलई फाग वसन्त किन्नर मधुर सरई री..... ३९ अन्न दिवसि नट केवि बहु अभिमान वहइ री ३ हम जीपइ करि वाद सो नट जस लहई री राजाकइ आओस५ तिह आषाढ चले जी ले सामग्गी संगि होवई सुकन भले जी..... अकंतई तिह आणि नारी मद्य पियइं री मूल सभाव न जाइ कहा जतन कीयइ री हिव ते जीपि आषाढ जइ जइ४७ सबद लहइरी सिंघ सबद सुणि कान ८ गजघट केम रहइ री..... ४१ राउ९ पसाउ लहेइ मन्दिर आई रिषा री चीर रहित जु परी जाणे चित्र लिखि री नारी आल झखंति मदिरा नाग भखी री चित विरच्यउ मुनिराय उछी प्रीति लिखी री ..... ४२ हा हा कुण अपराध इणिस्युं प्रीति करी री किम मुझ लोपीकार इनकी जाति बुरी री धिग् धिग् मुझ अन्यान२ जाणत नारि वरी री छंडी संजम रंगि काहे रमणि वरी री.....