________________
२२२
अनुसन्धान-७५(२)
१२
१३
एवंभूत एहवू नाम सप्तम नय वहई निज कारज करतो पर्याय ते सद्दहें शत शत भेद एक एक नयनां जांणीइं सातसें नय प्रनालिका इम वखाणीइं चार द्रव्यार्थिक त्रिण पर्यायार्थिक उत्तरा ज्ञानक क्रिया नय अवतारइ ईहां बुद्धिवरा एक एक नय विरोधि मिथ्यामत भाखीइ समुदायें स्याद्वाद वंछितरस चाखीइ मरुदेवी गयां मुक्ति व्यवहारिं नवि अड्यां राजपंथ नही एह सहज चरणे वद्यां करतां अपूरवकरण कर्मकटके लड्यां तेहज कारण जाणि प्रमादें नवि पड्या तिणि कारणे रचना गंभीर ए नय तणी राखीइ निज ठाम न नाखीइ अवगणी सुणि सुकडि ए परिमल स्वभाव तुह्मतणो पणि ओरसीया अंग प्रगट हुइ अतिघणो प्रधानकारण सुकडि जो पणि तुं अछइ प्रथम ओरसीउ कारण चढइ जिननें पछे मानी सुकडि वात सहू संघ हरखीउ पुण्य पवित्र भवी जिणि जन मत परखीउ सुकडि ओरसीयाने सीस नमावती जे कह्यां वयण अलिक ते सर्व खमावती कहि ओरसीउ सुकडिनें धन तुं जगि जे चढइ जिननइ अंगिं किहा ते अम्म लगें मेल थयो ओरसीया साथें मलपतो धन सुकडि सुवास भरत इम बोलतो श्री भावप्रभसूरिसर भाखइ सांभलो द्रव्य पूजाइं भावपूजामां भवी भलो
१५
१६
१७