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________________ सप्टेम्बर २०१८ दूहा संघपति भरत ते हर्खीउ, हर्य्यो संघ समस्त धवल मंगल महिला दीइं, वाज्यां वाजित्र शस्त सुकडि ओरसीयां तण, मेल हूओ श्रीकार सुगंध कुटंब सवि हरखीओ, घन केसर घनसार मर्द्देइ ओरसीइ मुदा, चकवइ मुख नरनारि गिरि शत्रुंजय गाजतो, भूषणनें झणकार कनक रयण कचोलडी, भर्या सुगंधि घोल महाप्रतिष्ठा उत्सवइ, हुइ मन छाकमछोल ढाल १४ मी राग महार (मल्हार) हवइ पांचमी वाडि विचार कि श्रमण सोहामणा रे कि श्रमण सोहामणा रे वह बांधी सुविशाल कि सार शोभा वधी रे कि सार शोभा वधी रे बइठी मांहि वरनारि कि पीसी उषधी रे कि पीसी उषधी रे - अंजन कीधुं सज्ज भाजनमें उधर्यु रे कि भाजनमें उधर्युं रे जे हनुं जे काज कि ते तेणिं कर्तुं रे कि ते किर्युरे भरत नरेश सुरेश कि सर्व सनाथीया रे कि सर्व सनाथीया रे — १ स्नात्र भणावइ सर्व गाजइ जिम हाथीया रे कि गाजइ जिम हाथीया रे करइ सवि उचित काज दीइ अधिवासना रे कि दीइ अधिवासना रे २ ४ ऐ देशी २२३
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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