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________________ ११६ अनुसन्धान-७५(२) ६८. अडविहिं = जंगलमां ६९. पत्तउ = प्राप्त थयेला ७०. रिक्षि = मुनिराजे = ऋषि ७१. दिक्षि = दीक्षित कर्यो ७२. कद्धि(ट्ठि) = कष्ट वडे (?) ७३. जायव = यादव ७४. जुग्गह = योग्य ७५. अभिग्गह = अभिग्रह, प्रतिज्ञा विशेष ७६. समिद्धउ = समृद्ध ७७. कलिउ = युक्त ७८. हुंति = हता ७९. लुप्पई = लोपवू ८०. पालय = पालक (नाम) ८१. तीहं = तेमनां ८२. जंत्रिहिं = यंत्र वडे ८३. चत्त = त्यज्या ८४. अग्गिदढ = अग्निथी बळेलो ८५. वाडव = ब्राह्मण ८६. भमिसिइ = भमशे ८७. निरग्गल = मद वगरनो? ८८. सरई = थाय छे. ८९. समग्गल = सर्व ९०. कुइ = कोई ९१. लुलइ = लळे छे (नमे छे) ९२. डुल्लइ = डोले ९३. पाडल = पाडल पुष्प ९४. समतुल्लइ = समान ९५. दोहग्ग = दुर्भाग्य ९६. अचब्भुय = अति अद्भुत ९७. कसिहि = परीक्षा माटे ९८. कण्ह = कृष्ण ९९. मसाणि = स्मशानमां १००. वइसानर = अग्नि - १०१. भू(भ)रिय = भरायेलु १०२. संसहु = सारी रीते सहन करूं १०३. वेसाहरि = वेश्याने घरे १०४. निरत्तउ = आसक्त १०५. जित्तउ = जित्यो १०६. सुहड = सुभट १०७. सुपरिहि = सारी रीते १०८. सुविदित्तउ = प्रसिद्ध १०९. अवमन्निय = अवमान्या करी ११०. मन्निय = मानी १११. कंबल भणि = कंबल माटे ११२. चल्लइ = चाल्यो ११३. अवत्थ = अवस्था ११४. चंपेवि = लूंछी ११५. मच्छर = मत्सर ११६. मक्खसि = ? मानवं, कहे, ११७. पसंसिय = प्रशंसा करी ११८. खिसिय = उद्वेग पामी ११९. अलिय = खोटी १२०. अज्जवि = आजे पण १२१. हीणत्तण = नीचापणुं १२२. दुहकर = दुख करनारु १२३. वियक्खण = विचक्षण पुरुषो १२४. चंगिम = श्रेष्ठ १२५. खण = क्षण १२६. तिणि = तेणे १२७. एउ = तेओ १२८. लेवि = लो १२९. खद्ध = आघु १३०. लग्गु = लाग्यु १३१. लेवारिउ = लेवडाव्यु १३२. समीवि = पासे १३३. वायण = वाचना
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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