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सप्टेम्बर २०१८
वरमउडकिरीडधरो, चिंचईओ चवलकुंडलाहरणो । सक्को हिओवएसा, एरावतवाहणो जाओ || ४५०॥ रयणुज्जलाई जाई बत्तीसविमाणसयसहस्साइं । वज्जहरेण वराइं हिओवएसेण लद्धाई ॥४५१ ॥ सुरवइसमं विभूई, जं पत्तो भरहचक्कवट्टी वि । माणुसलोगस्स पहू, तं जाण हिओवएसेण ॥४५२॥ जि हित अरिहंत कहवि नवि प्राणि करावइ, तं पुण दिइ उपदेस जेण किद्धइं३३८ सुख आवइ, जं सुखइ३९ सुर-वग्ग सग्गि एरावण वाहण, जं भरहाहिव रज्ज सज्ज२४० भुंजइ सुह- साहण, जं जं अवर विसुर-असुर नर मुक्ख सुक्ख माणइ घणउं, तिहुयणमज्झ तं सयल फल जिणवर - उवएसह तणउं. ७७ सव्वगुणेहिं गणो, गुणाहिअस्स जह लोगवीरस्स । संभंतमउडविडवो, सहस्सनयणो सययमेइ ॥ ४५६ ॥ वीर० षट्पदः प्रागुक्तः ॥ आजीवगगणनेआ, रज्जसिरिं पयहिऊण य जमाली । हिअमप्पणो करिंतो, न य वयणिज्जे इह पडतो ॥ ४५९ ॥ खत्तियकुंडि जमालि वीर - जामाई खत्तिउ,
सु३४९ सण - भत्तार सार-वय- भार पवत्तिउ नवि मन्नइ किज्जत किद्ध ३४३ इय आगम-वाणी, निण्हवि तेण कुदिट्ठि दुट्ठि किय बहु गुण-हाणी, निय कित्ति मुसिय सुर किब्बिसिय मिलिउ मिच्छमइ मोहियउ, सय पंच साहु साहुणिसहस ढंक २४४ सड्डि पुण बोहियउ. ७८ साहंति अ फुडविअडं, मासाहस- सउण- सरिसया जीवा । न य कम्मभारगरुअत्तणेण तं आयरंति तहा ॥ ४७१ ॥ वग्घमुहम्मि अहिराओ, मंसं दंतंतराउ कड्डेइ ।
' मा साहस' ति जंपड़, करेइ न य तं जहा भणियं ॥ ४७२ ॥ जिम मासाहस २४५ पंखि मुखिहि मा साहस जंपइ,
वग्घ- वयणि ३४६पइसेवि मंस लिंत २४७ नवि कंपइ,
तिम अवरह उवएस दिति किवि फुड-वयणक्खरि २४८,
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