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सप्टेम्बर २०१८
ससि रडइ सूर सुर-अग्गलिहिं तणु तच्छिय दुह दिक्खवउ, सो भइ जीव विणु तणु दहिहिं नरयदुक्ख किम रक्खिवउ. ७० सुग्गइमग्गपईवं, नाणं दितस्स हुज्ज किमदेयं । जह तं पुलिंदएण दिन्नं सिवगस्स निअगच्छ ॥२६५॥ सुग्गइ - मग्ग-पईव ३२९ नाण जे दियई निरुप्पम, तिहं गुरु किंपि अदेय नत्थि जगमज्झि जगुत्तम, दिद्धउ जेम पुलिंदि२० सिवग जक्खह निय लोयण, तिण सरिसउं सुर वत्त करइ भत्तह दिइ चोयण, ३२१ केवलई दाणि तूसइ १२२ न गुरु अंतरंग भत्तिर्हि वर, तिणि कारण बिहु परि करि विणय जिम बाहिरि तिम अंतरइ. ७१ सीहासणे निसन्नं, सोवागं सेणिओ नरवरिंदो ।
विज्जं मग्गइ पयओ, इअ साहुजणस्स सुअविणओ ॥ २६६॥ अंब-चोर चंडाल चडिउ अभय करि कंपइ,
दय नामिणी २२३ सुविज्ज मज्झ इम सेणिउ जंपइ, विणय-विवज्जिय विज्ज- कज्ज करिवइ नवि जग्गइ २२४, सिंहासणि बइसारि भारि गुरु करि सो मग्गइ,
ओ कहइ विज्ज ओ लहइ फल बिहुह कज्ज तक्खणि सरिउ, इण कारणि जिणसासणि विणय सुगुरु-सीस अणुक्रमि करिउ. ७२ विज्जाए कासवसंतिआए, दगसूयरो सिरिं पत्तो ।
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पडिओ मुसं वयंतो, सुअनिन्हवणा इअ अपत्था ॥ २६७॥ सूर२५ तिदंडि तामलित्तीपुरि अच्छइ,
नापित पासि सुविज्ज लेवि संतरि गच्छइ, महिमा मोट्टिम पत्त-दंड गयणंगणि रहियउ, पुच्छिउ नरवरि जाम ताम सच्चउ नवि कहियउ, गुरु लोप कोपि विज्जा गई गयण- दंड गडयडि पडिउ, लज्जियउ लोकि हसिउ सयल इम सुनाण- निण्हवि नाडिउ. ७३
सुठु वि जई जयंतो, जाइमयाईसु मज्जई जो अ । सो मेअज्जरिसि जहा, हरिएसबलु व्व परिहाइ ॥ ३३३॥