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सप्टेम्बर - २०१८
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पुरनिद्धमणे जक्खो, महुरामंगू तहेव सुयनिहसो । बोहेइ सुविहिअजणं, विसूरइ बहुं च हियएण ॥२९१॥ सुबहु-सीस परिवार सार सिद्धत विदित्तउ,३०० महुरा पुरि सिरिमंगुसूरि रसणिदिइ जित्तउ, नरय-खालि.०३ उप्पन्न जक्ख बहु दुख निहालइ, सुविहिय२०४-जण पडिबोह-कज्जि०५ निअ जीह दिक्खालइ,३०६ जिप्पह२०० मुणिंद रसणिदियह अणजित्तइ३० एरिसु हूउ, जग्गह जि जोग जुगतिहिं सदा मम मोह निद्रा सूउ. ६५ परितप्पिएण तणुओ, साहारो जइ घणं न उज्जमइ । सेणियराया तं तह, परितप्पंतो गओ नरयं ॥१९६॥ अत्रार्थे षट्पदः सासय० गाथायां प्रागुक्त एव ॥ गिरिसुअपुप्फसुआणं, सुविहिअ आहरण कारणविहिन्नू । वज्जिज्ज सीलविगले, उज्जुअसीले हविज्ज जई ॥२२७॥ गिरिसुय०९ ग्रहिउ भु(भी)लिहिं पुप्फसुय तवसी सेवइ, सूयडा३१० अडवी मज्झि अछई पक्कोदर११ बेवइ, इक्क भणइ लिउ मारि अवर पुण विणय पयासइ,३१२ अंतर संग-विसेसि दोस-गुण नरवइ पासइ, इम जाणि निगुण-संगति ति(त)ज उत्त]म गुण-संग अणुदिण करउ, झगमगइ जेम जगमज्झि जस भवसमुद्र तक्खणि तरउ. ६६ सीएज्ज कयाइ गुरू, तंपि सुसीसा सुनिउणमहुरेहिं । मग्गे ठवंति पुणरवि, जह सेलग पंथओ नायं ॥२४७॥ सिरिथावच्चापुत्र सूरि सुक सूरि-अणुक्कमि,३१४ सेलग"सूरि पमाय१६-पंकि पडियउ अइदुद्दमि, गया सीस सवि छंडि एक्क पंथग३१७ मुणि रहिउ, खमंतइ पगि लागि पूर्व वासर१८ तिणि कहियउ, मिय३१९-महुर-वयणि सुनिपुणपणइं ठविउ सुद्ध संजमि सगुरु, सो सूरि सुणविचारिन्त चरि सित्तुंजय सिद्धउ सधरु२०. ६७ दस दस दिवसे दिवसे, धम्मे बोहेइ अहव अहिआयरे । इअ नंदिसेण सत्ती, तहवि अ से संजमविवत्ती ॥२४८॥